मालूम ही था हमेशा से, करना होगा इंतज़ार तुम्हारा,
जीवन पथ मुश्क़िल, तो करना होगा ऐतबार तुम्हारा।
जानता है दिल, ज़रूरी और ज़रूरत के बीच फ़ासला,
टूटे ना तो उससे छिपाए रखना होगा असरार तुम्हारा।
एहसास है गर ज़रा भी, तो फिर अफ़सोस ना करना,
इज़्हार के बाद यूँ फिर से सहना होगा इंकार तुम्हारा।
दे हौसला, उजाले से ज़्यादा अँधेरों में साथ निभायेंगे,
उम्मीद-दीप जलाए रख ढूँढ़ना होगा अनवार तुम्हारा।
बेफ़िक्र रहना, हर हालात में खुशी से जी लेती है 'धुन'
नहीं करेंगे परेशान हम, ना जीना होगा दुश्वार तुम्हारा।
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