QUOTES ON #पथ

#पथ quotes

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31 JUL 2022 AT 16:57

क़भी विरोधाभास है ख़्वाबों से.. क़भी ख़्वाइशों से विवाद है
यह जीवन ना जाने... किस तृषित का ख़्वाब है,

थोड़ा है तो मन... बहुत पाने की चेष्टा करे
मुर्ख जल की मीन... स्थल पे जाने की अपेक्षा करे
ख़ुशी को धैर्य... किंचित भी नहीं है
विषाद है हर बस्तु में... हर जग़ह अवसाद है,
कमबख़्त... यह जीवन ना जाने... किस तृषित का ख़्वाब है,

यह देह कालकोठरी है... मिथ्या यह सवेरा है
नयन बंद कर देख बंदे.. कितना स्याह अंधेरा है
यह संसार कुछ भी नहीं सारा... घर है मूक बधिरों का
छतों से है कहासुनी... औऱ दीवारों से संवाद है,
उफ़्फ़... यह जीवन ना जाने... किस तृषित का ख़्वाब है,


क़भी विरोधाभास है ख़्वाबों से.. क़भी ख़्वाइशों से विवाद है!!

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22 JUL 2022 AT 7:52

यूँ तो आसान नहीं है उसे खो देना... जिसे मुश्किल से तुम पाने लगो
पऱ यह जीवन है इसमें जो मिला...
समझ ख़ुदा का रहम... बस अपनाने लगो,

स्वीकार करो.. आगे बड़ो.. क्या लगता है ख़ुश रहने को..
नहीं होता है अग़र जैसा चाहते हो तो...
जो हो रहा है... बस उसे चाहने लगो,

अब बहुत जलेगा सुबह का सूरज दिनभर... फ़िर शाम ढले क्यूँ उदासी है
नए सिरे से फ़िर उदय होना है... यह सोचो जब डूब जाने लगो,

एक ही अंत है सबके इस जीवन पथ का ...
सफ़र भिन्न सही मुसाफिरों के
सुख में हँसे तो क्या हँसे... बात तब है जब दुःख में तुम मुस्कुराने लगो!!

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26 MAR 2021 AT 15:21

वो पथ क्या पथिक कुशलता क्या,
जिस पथ में बिखरे शूल न हों..
नाविक की धैर्य कुशलता क्या,
जब धाराएं प्रतिकूल न हों..

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5 OCT 2022 AT 7:22

यह दुनियाँ षडयंत्रों की अयोध्या
ममता मोहः की कैकई बनाये,
यूँ तो सभी "राम" रूप जन्में हैं
पऱ मैं, मेरा ही, क्यूँ बनवास पाए,

सुख के हैं सब भागी "रामा"
दुःख के जंगल कौन अपनाए,
मिथ्या स्वप्न तिलिस्म दिखायें
के मृग सोने का मन भरमाये,
तृष्णा लांघती लक्षमण रेखा
अब इस मन मूर्ख को कौन समझाए,

अब होते नहीं हैं गैरों से युद्ध
अपना ही अपने पे तीर चलाये,
ख़त्म कहाँ होता है अहम का "रावण"
हमने व्यर्थ ही पुतले लाख जलाए..!!

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23 JUN 2020 AT 5:46

रथ भी उदास था, पथ भी उदास
अब जा कर आयी साँसों में साँस
अनलॉक हो गये प्रभु जगन्नाथ
करना न होगा उन्हें स्वगृहवास

भक्त नहीं तुझे खींचेगी भक्ति
अपरम्पार है तेरी शक्ति
व्यक्त भी तू अव्यक्त भी तू
तू ही जगत और तू ही व्यक्ति

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26 DEC 2021 AT 9:24

अंतिम पथ पर खड़ा व्यक्ति
सहयोग का आकांक्षी है
दान का नहीं

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5 MAY 2020 AT 10:18

कर्तव्यनिष्ठ हूँ, चलता ही रहूँगा,
मैंने मंजिल की ओर दौड़ लगाई है।
ना रुकुँगा कभी आँधियों के आगे,
मैंने चट्टानों में भी सुराख बनाई है ।।

पाषाणों का हृदय भेदकर,
अपनी जीत का हुँकार भरूँगा।
चलूँगा पथ पर तान के सीना,
हर सपना साकार करूँगा।।

प्रतिरूप हूँ उस विधाता का,
जिसने जग का उद्धार किया।
अडिग रहूँगा पथ पर अपने,
मैंने ये प्रण स्वीकार किया ।।

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29 AUG 2020 AT 8:32

मालूम ही था हमेशा से, करना होगा इंतज़ार तुम्हारा,
जीवन पथ मुश्क़िल, तो करना होगा ऐतबार तुम्हारा।

जानता है दिल, ज़रूरी और ज़रूरत के बीच फ़ासला,
टूटे ना तो उससे छिपाए रखना होगा असरार तुम्हारा।

एहसास है गर ज़रा भी, तो फिर अफ़सोस ना करना,
इज़्हार के बाद यूँ फिर से सहना होगा इंकार तुम्हारा।

दे हौसला, उजाले से ज़्यादा अँधेरों में साथ निभायेंगे,
उम्मीद-दीप जलाए रख ढूँढ़ना होगा अनवार तुम्हारा।

बेफ़िक्र रहना, हर हालात में खुशी से जी लेती है 'धुन'
नहीं करेंगे परेशान हम, ना जीना होगा दुश्वार तुम्हारा।

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4 APR 2018 AT 23:55

मत बदलो अपने पथ को किसी चट्टानों को देख कर
वो चट्टानें भी तुम्हारी हैसियत देख कर खुद तुमसे टकराने की चाहत लिए आई है।

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17 JUL 2020 AT 0:48

आज सवेरा देख कर मैं, गुमनाम पथ पर चल पड़ा।
कुछ नाम कमाने की चाह में, हुआ मैं आज जल्द खड़ा।
यूँ शाम ढलने से पहले, पहचान बनाना चाहता मैं।
जानें सभी मुझे मुझसे, ऐसा काम करना चाहता मैं।
हे ईश्वर तू बल दे मुझे, मैं बंदा एकदम डट पड़ा।
अपने पथ पर, अपनी राह पर, मंजिल को अपने मैं चल पड़ा!

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