QUOTES ON #पति

#पति quotes

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16 SEP 2021 AT 9:05

होता बालक निर्दोष, निश्चिन्त, सबकुछ सरल समझता हूँ!
कभी जिद्दी, कभी अड़ियल टट्टू, कभी आँख का तारा बनता हूँ!

होता बेटा अपने माँ बाप का उत्तरजीवी सूचक से,
कभी राम, कभी श्रवण, कभी परसुराम सा बन जाता हूँ!

होता प्रेमी किसी प्रेयसी का गढ़ता प्रेम की परिभाषा,
कभी कृष्ण तो कभी शिव तो कभी कामदेव मैं बन जाता हूँ!

होता पति तो बन के अर्धनारीश्वर परिवार पोषक,
कभी मोम, कभी कठोर, कभी मासूमियत से निर्वाह करता हूँ!

होता बाप तो फस जाता दो पीढ़ियों के संतुलन में,
कभी चुप, कभी समझाइश, कभी आंख मूंद के चलता हूँ!

होता पितामह तो बन जाता हूँ छांव बरगद की मैं,
कभी लाचार, कभी अधिकार, कभी नसीहत से बातें करता हूँ!

होता पुरुष जो इस धरा पर, के महत्व पर गौर नहीं,
खग की भाषा खग ही जाने, सब पुरुषों को समर्पित करता हूँ!
_राज सोनी

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30 MAR 2019 AT 17:55

घर में पत्नी के आते ही एक ओर मां, बहन और भाभी ने मुझे खुलेआम जोरू का गुलाम कहना आरंभ कर दिया है। तो भी मुझे यह तसल्ली नहीं कि कम-से-कम घरवालों की इस घोषणा से श्रीमतीजी को तो प्रसन्नता होगी ही। उलटा उनका आरोप यह है कि मैं मां, बहनों और भावजों के सामने भीगी बिल्ली बन जाता हूं और जैसा कि मुझे करना चाहिए, उनकी तरफदारी नहीं करता। मां कहती है कि लड़का हाथ से निकल गया, बहन कहती है भाभी ने भाई की चोटी कतर ली। भाभी कहती है-देवरानी क्या आई, लाला तो बदल ही गए। लेकिन पत्नी का कहना है कि तुम दूध पीते बच्चे तो नहीं, जो अभी भी तुम्हें मां के आंचल की ओट चाहिए। बताइए, मैं किसकी कहूं ? किसका भला बनूं ? किसका बुरा बनूं ? वैसे तो सभी नारियां शास्त्रों की दृष्टि से पूजनीय हैं, मगर मेरा तो इस जाति ने नाक में दम कर रखा है। 

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1 FEB 2021 AT 17:18

मरै बैल गरियार, मरै वह अड़ियल टट्टू
मरै करकसा नारि, मरै वह खसम निखट्टू
बाम्हन सो मरि जाय, हाथ लै मदिरा प्यावै
पूत वही मर जाय, जो कुल में दाग़ लगावै
अरु बेनियाव राजा मरै, तबै नींद भर सोइए
बैताल कहै विक्रम सुनौ, एते मरे न रोइए

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5 NOV 2020 AT 17:50

धीरज धर्म मित्र अरु नारी। आपद काल परिखिअहिं चारी॥

( धैर्य, धर्म, मित्र और स्त्री- इन चारों की विपत्ति के समय ही परीक्षा होती है )

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4 NOV 2020 AT 21:44

होएहु संतत पियहि पिआरी।
चिरु अहिवात असीस हमारी॥

( तुम सदा अपने पति की प्यारी होओ,
तुम्हारा सुहाग अचल हो;
हमारी यही आशीष है )

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17 JUL 2020 AT 12:20

पति बनाम प्रेमी दूसरा अंश
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अरे पति क्या है, मां बाप के बोझ को
हल्का करने का मात्र साधन है
जरा सोचों, वही तो नारियों की
स्वतंत्रता का सबसे बड़ा बाधक है.
अरे पति बैड लक है, प्रेमी गुड लक है.
पति, सूखी रोटी का तामझाम है .
प्रेमी, रसगुल्ला और कालाजाम है.
पति ,रास्ते का जाम है .प्रेमी, टाइम पास बादाम है.
पति ,चलती का नाम गाड़ी है.प्रेमी, बनारसी साड़ी है.
पति ,प्रत्याकर्षण है.प्रेमी, आकर्षण है.
पति ,स्टोरी है ससपेंस है . प्रेमी, ओपेन 100 परसेंट है.

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17 JUL 2020 AT 12:02

पति बनाम प्रेमी पहला अंश
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एक बार एक ऐसी पतिव्रता स्त्री को देखा.
बड़ी अद्भुत थी जिसकी रूपरेखा.
वह हर पल पति के लिए
मंगल कामना किया करती थी.
कभी तीज तो कभी करवाचौथ
का उपवास करती थी.
फिर भी पति की डांट सहती थी.
एक मनचला युवक, उससे रहा नहीं गया.
उसकी पति भक्ति देख,उससे सहा नहीं गया.
उसने कहा, "अरे तपस्विनी जी!
गाहे बेगाहे जिसकी तू डांट सहती है.
उसी के लिए कैसे व्रत और उपवास रखती है?
अरे! पति की भक्ति छोड़ मुझ प्रेमी से दिल लगा.
कलमुँही, करमजली जैसे खिताब रूपी काले
टीके से दुनिया की नजर से बच जा.

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14 NOV 2018 AT 20:25

रोटियों को गोल
आदमी को सीधा करता है।
बेलन वो हथियार है
जिससे हर पति डरता है।

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6 AUG 2020 AT 11:20

नग्न तन से लगाव
पुरुष का पिंड
हो सकता है,
आत्मा से प्रेम की चाहत
बदल देती है
उस पुरुष
को परमेश्वर में
जिसे पति कहां जा सकें।

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20 JUN 2021 AT 11:54

कुछ "पुरुष" ऐसे भी होते हैं,
जो "स्त्री विरोधी" सोच और अपने दिखावे की
"मर्दानगी" को छोड़कर चल पड़ते हैं
"समाज बदलाव" की राह पर,
कभी "बाबा" बन दे देते हैं "पोतियों" को
खेत-खलिहान घूमने की "आजादी",
कभी "पिता" बन बचा लेते हैं "कोख" में पल रही
"तीसरी बेटी संतान" को भी,
"भाई" बन लड़ पड़ते हैं खुद के घर में ही
अपनी "बहन की पढ़ाई" के लिए,
बहन को देते हैं "हौसला" बेखौफ होकर "दुनिया से लड़ने" का,
"पति" बन तोड़ देते हैं पत्नी के लिए "दिखावे के नियम" को,
"प्रेमी" बन प्रेमिका के "सारे सपनों" को देते हैं "पंख",
"दोस्त" बन करते हैं सारी "महिला दोस्तों" का सम्मान,
ऐसे पुरुष ही तो रखते हैं "पितृत्व" का मान..!!!!!
:--स्तुति

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