इस दिवाली जलाना एक दीप,
रौशन करना उन पत्थर जैसे लोगों को,
आशा की लौ से तेल भरना,
उन घने अंधेरे रास्तों को,
कल तुम एक अमीर खानदान के दौलत थे,
तो आज तुम किसी घर की दिवाली बन जाना,
बिन पटाखों के, फूलझड़ियों के,
तुम राम राज्य ले आना,
राम के फिर जन्मभूमि अयोध्या लौटने पर,
तुम corona warriors के लक्ष्मण बन जाना,
काँटों से भरे रास्तों में,
तुम गुलाब बन जाना,
दिवाली के रंगों में डूब,
तुम किसी का इमान बन जाना,
ऊँच-नीच, भेदभाव को मिटाकर,
सब एक साथ दिवाली मनाना..
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