QUOTES ON #पंचतंत्र

#पंचतंत्र quotes

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4 OCT 2019 AT 16:15

भारतीय साहित्य में पशु

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21 MAR 2020 AT 12:08

पंचतंत्र की एक लघु कथा है 'आपस की फूट'

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22 MAY 2017 AT 22:14

एक कछुआ था और एक खरगोश। दोनों दिल्ली की और दौड़े। खरगोश दौड़ दौड़ कर सी.एम.की कुर्सी तक पहुँच गया और थकान मिटाने लगा। कछुआ धीरे धीरे पी.एम. की कुर्सी तक पहुँच गया। दोनों में एक समानता थी, जनता को उल्लू बनाने की।

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12 MAY 2020 AT 16:58

दो लोगों ने कहा-
"अंगूर खट्टे"
दोनों लोमड़ियाँ थीं।
पहली असंतुष्ट
दूसरी अतिसंतृप्त!

संत ने कहा "संतुष्टि"!

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अनुभव सभी को होते हैं पर उन्हें अनुभूति मे रूपान्तरित करने की सूक्ष्म पर्यवेक्षक दृष्टि के बिना कलाकार का जन्म नहीं होता।

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मगरमच्छ की पीठ पर
बैठकर जामुन खाने
के लिए नदी में जाने से
बेहतर है चुपचाप
अपने पेड़ पर
बैठे रहना।

👌 चतुर सोच 👌

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4 MAY 2022 AT 20:42

सिंह - शृगाल- कथा
अस्ति कस्मिंश्चित वनोद्देशे वज्र दंष्टृओ नाम सिंह:!
इसी वन के एक इलाके में वज्रदंष्ट्र नाम का एक सिंह रहता था।।

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न गोप्रदानं न महीप्रदानं न चान्नदानं हि तथा प्रधानम् ।
यथा वदन्तीह बुधाः प्रधानं , सर्वप्रदानेष्वभयप्रदानम् ॥
(पञ्चतंत्रम् मित्रभेदः ,3/31 )







विद्वान् लोग इस संसार में गोदान , पृथ्वीदान और अन्नदान को वैसा प्रधान नहीं मानते जैसा सभी दानों में अभयदान को मुख्य मानते हैं ।

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7 MAY 2021 AT 15:35

"संस्कृत साहित्य में ईसवी सन के बाद से और आसपास गद्य का एक दूसरा रूप 'पंचतंत्र' आदि कहानियों के रूप में पाया जाता है। वेनिफी ने पहले पंचतंत्र की कहानियों का अनुवाद करके यूरोपियन कहानियों से तुलना की। उन्हें उस निष्कर्ष पर पहुँचना पड़ा कि संसार की कहानियों का मूल भारतवर्ष ही है। पंचतंत्र की कहानियों ने संसार की सारी भाषाओं के साहित्य को आश्चर्यजनक रूप से प्रभावित किया है। पंचतंत्र का माहात्म्य सारे संसार में प्रतिष्ठित हो गया है! वेनिफी के प्रयत्न से एक नए शास्त्र का ही जन्म हुआ जिसे कहानियों की आलोचना का तुलनात्मक साहित्य कहा जाता है।"

"आचार्य हज़ारीप्रसाद द्विवेदी"

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यौवनं धन संपत्ति: प्रभुत्वमविवेकिता।
एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्टयम्।।


अर्थात्- जवानी, धन-संपत्ति, प्रभुत्व (अधिकार) और अज्ञानता। ये चारों ही अनर्थ की जड़ है। और ये सब एक ही व्यक्ति के पास हो तो फिर अनर्थ की सीमा ही नहीं होगी।

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