समय स्वयम उदासीनता ओढ़े, नजरें चुराते, अँधेरे कोनों में आश्रय तलाशें जब, ओ निर्लज्ज मन, तु दुत्साहस के, दुःस्वप्नों के के पँख लोभ में, हाट बाज़ार भटकायें हैं ।
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