मैं आज जो आया,
दूरियां मिटा कर आया हूं।।
दिल्ली इंदौर दूर नही ,
आंखों में आस दिला के आया हूँ।।
आँसू भी थे , जो थोड़े गमगीन थे,
पर मैं समय से पहले , हँसा के आया हूँ।।
मिलों की दूरियां , अब कहाँ रही,
धागे की कस्मे , तुझे जो देकर आया हूँ ।।
वचन तेरे और मेरे भी याद है मुझे,
कुछ रस्मो में बंध , थोड़ी रस्मे बांध आया हूँ।।
विरपस की मिठाई , और थोड़े गेंहू लिये,
रक्षा सूत्र बाँधने का न्योता देकर आया हूँ ।।
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