QUOTES ON #नीरज_नीरस

#नीरज_नीरस quotes

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13 DEC 2017 AT 11:25

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छिपना चाँद का हर वक़्त...बड़ा बेताब करता है.....

मैं जब जब पास जाता हूं... वो मुख को मोड़ लेती है.../

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19 DEC 2017 AT 16:07

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पौ की गमभरी रात में
तमाम दरख्तों पे..
वो छोटी सी जो....
इक बूँद बनती है...ना...!!
वो दर्द को लपेट कर..
खुद में....खुद को.समेटकर...
.नज़रअंदाज़ कर रही है....
दरिया को...
पता है क्यूं.......?
दरिया गम को बहाने में लगा है..
और मैं जो बूँद बनी हूँ..गम की
सहलाने में लगी हूं....
तुझको.....खुद से....!!

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23 DEC 2017 AT 12:49

गन्दा नाला
🌑🌑🌑
मेरे घर के सामने...
इक गन्दा नाला रहता.
कभी शांत सा...
तो कभी बेपरवाह बहता..
टूटी-फूटी चीज़ों से मालामाल..
तो कभी मलमूत्र से लबालब..रहता..
उसकी सेमेंटेड दीवारों को
किसी न गिला न कोई वास्ता रहता..
देखता वो सभी को..
मन के अंतर्मन को मोड़कर.
न जल से न मिटटी से न कबाड़ से
कुछ....कुछ न कहता...

मेरे घर के सामने...
इक गन्दा नाला रहता.
कभी शांत सा...
तो कभी बेपरवाह बहता.....

परखता देखता उजली अंधियारी चीज़ों को
खूब टटोलता...छानता..
अपने मन मुताबिक पाने को..
हर कण हर ज़र्रे को महसूस करता
तब जाकर कालिमा के कालेपन को जान पाता..

मेरे घर के सामने...
इक गन्दा नाला रहता.
कभी शांत सा...
तो कभी बेपरवाह बहता.

मेरे मन में...मेरे तन में भी...
इक गन्दा नाला रहता...
कभी शांत सा..
तो कभी बेपरवाह बहता...,

पर क्यों न मैं...
घर के सामने नाले जैसा...
क्यों न सोच पाता...
मेरे मन में वो गन्दा नाला..

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14 DEC 2017 AT 14:17

करनी हो जो नफ़रत.....तो..
इत्मीनान से कर......,,
बस....बांध दे.......
अंगूठे को...अपने...
अपनी पुरानी चाहत की तरह....,,
क्यों बार बार......
हर बार....
फ़ोनलोक खोलकर........
बस......
तीन अक्षर लिखता है......
मेरे मनहूस नाम के....

बोल...?

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13 DEC 2017 AT 18:19

* #मटमैली धूप को...कल..
उतरते पेड़ पर देखकर..
शहतूत की छाल के नीचे..
छुपे रेशम के कीड़े से..यूं..
कल मैंने कुछ पूछ ही लिया...

सुना है... मोहब्बत करते हो..
और बड़ी जानदार करते हो..
कैसे...बताओ तो कैसे..कैसे.करते हो..!

रेशम के कीड़े ने....
.बुनते हुए रेशम..
कहा बड़े इत्मिनान से..
के कौन कहता है...
मैं मोहब्बत करता हूं..?

रेशम को रेशम से जोड़कर...
प्यार को प्रेम से मोड़कर..
रिश्तों का ये धागा बनाता हूं..
और तुम कहते हो के मैं प्यार करता हूँ..
हाँ......
हाँ......
हाँ..बस ये ही इबादत बार बार करता हूँ...

और मुझे नही पसन्द के दुनिया की नज़रों में रहूँ..
अपनी ही दुनिया है मेरी....
और दुआ भी...के इसी दुनिया को प्यार बार बार करुँ..../

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19 DEC 2017 AT 17:02

क्योंकि दीप को तो जगमगाना ही था.....सो अंधेरा उसका साथ देने चला आया.........!!


-----नीरा

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16 DEC 2017 AT 10:22

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सितम मशहूर है जिनके..
बड़े मगरूर वो रहते है...

शीशे सी मैं नाज़ुक हूं..
पत्थर दिल वो कहते है..

बिखरना टूट के मुझको...
हवाओं ने सिखाया है...

वफ़ा का नाम ले ले कर...
हूँ मज़बूर वो कहते है...

जो बादल टूट के बरसा..
मेरे नन्हे से आँगन में...

भिगोकर ख्वाइशें..सारी...
ज़ख्म को लाल रखते हैं..

जो मिलना भी मैं चाहूँ तो..
बलाएँ सारी दुनिया की..

मेरी आँखों में भर कर वो..
मुझे यूं याद रखते हैं..
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30 DEC 2017 AT 15:30

कुछ बैरंग भेजे थे......खत...

सब..बैरंग ही लौट आये...!


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29 DEC 2017 AT 14:19

किसी दिन जब
सर्द रातों को.....
मेरे जिस्म की गर्मी छूएगी,...ना,
......
तुम आने का अनुमान लगाना...प्रिये...!
तब...............मेरी कलम..
जिस्म की लाल रोशनाई से ..
तुम्हारे मिलन की आस का...
आखिरी पैगाम गढेगी.....
.....
आ रही हो ना...प्रिये...!!

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26 DEC 2017 AT 16:56

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सीख गया है....अब सिमटना ' नीरस '

तू बिखेरना.....ज़ारी रख...!

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