QUOTES ON #नीरज

#नीरज quotes

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9 FEB 2021 AT 21:05

हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे।
जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे।

रामघाट पर सुबह गुजारी
प्रेमघाट पर रात कटी
बिना छावनी बिना छपरिया
अपनी हर बरसात कटी
देखे कितने महल दुमहले, उनमें ठहरा तो समझा
कोई घर हो, भीतर से तो हर घर है वीराना रे।

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20 JUL 2018 AT 5:44

चला गया कवि
कविताएँ छोड़कर
शरीर ही गया है
आत्मा तो है यहीं
मत कहो मेरे दोस्तों
कि नीरज रहे नहीं

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19 JUL 2020 AT 17:58

इटावा उत्तर प्रदेश के महान कवि गोपालदास नीरज जी के सम्मान में कुछ पंक्तियां:-

।।तुम' नीरज' जैसे बन जाओ , अंधियारे को छोड़ तुम नए सबेरे में जग जाओ
भोर का भानु बनकर के , तुम अटल सूर्य से उग जाओ

थे सुबह के नए सूरज , चमचमाती रात के शशि थे
थे कवियों के जनक वह , काव्य जगत के ऋषी थे

लिखते थे सुंदर रचना वह , सुंदर ही गाया करते थे
सच्चे बनकर नाम कमाओ , यह वह बतलाया करते थे

परम श्रद्धेय दादा को हम कभी भुला न पाएंगे
नमन करते उनको सत सत , उनके चरणों में दीप जलाएंगे

युवा पीढ़ी हो या कोई हो , सबके मन के धीरज थे
पदम विभूषण से सम्मानित ऐसे दादा नीरज थे।।


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20 JUL 2018 AT 9:20

"चाह तो निकल सकी न, पर उमर निकल गई,
गीत अश्क बन गए, छंद हो दफन गए,
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे!"

"हिंदी की वीणा", "गीत गन्धर्व" और
"हिंदी-उर्दू के सेतु"
नीरज जी को "अश्रुपूरित आदरांजली"

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27 DEC 2020 AT 22:22

Bhawna Dutt

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27 DEC 2020 AT 22:08

Vishaal Shashwat

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27 DEC 2020 AT 22:11

Tanmay Bhatnagar

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28 AUG 2023 AT 15:15


रच दिया एक नया इतिहास
नीरज चोपड़ा फिर
बन गया सबका चहेता
भारत का लाल
वर्ड चैंपियनशिप में भारत को
दिलाया पहला गोल्ड मेडल
देश का बढ़ा दिया सम्मान
धन्य है वो माता-पिता जिसने
दिया ऐसे महान पुत्र को जन्म
फिर से तिरंगा लहराया🇮🇳🇮🇳
फिर से कर दिखाया🇮🇳🇮🇳
नीरज चोपड़ा को
ढेर सारी शुभकामनाएं
💐💐🇮🇳🇮🇳

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1 AUG 2017 AT 15:26

तालाबो में खिलकर भी सबको आकर्षित करता हूँ।
"नीरज" हु मैं "कमल" सदृश पानी में फिरता रहता हूँ।।

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24 APR 2020 AT 9:45

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है

माला बिखर गयी तो क्या है
खुद ही हल हो गयी समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों!
चन्द खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।

गोपालदास नीरज

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