इटावा उत्तर प्रदेश के महान कवि गोपालदास नीरज जी के सम्मान में कुछ पंक्तियां:-
।।तुम' नीरज' जैसे बन जाओ , अंधियारे को छोड़ तुम नए सबेरे में जग जाओ
भोर का भानु बनकर के , तुम अटल सूर्य से उग जाओ
थे सुबह के नए सूरज , चमचमाती रात के शशि थे
थे कवियों के जनक वह , काव्य जगत के ऋषी थे
लिखते थे सुंदर रचना वह , सुंदर ही गाया करते थे
सच्चे बनकर नाम कमाओ , यह वह बतलाया करते थे
परम श्रद्धेय दादा को हम कभी भुला न पाएंगे
नमन करते उनको सत सत , उनके चरणों में दीप जलाएंगे
युवा पीढ़ी हो या कोई हो , सबके मन के धीरज थे
पदम विभूषण से सम्मानित ऐसे दादा नीरज थे।।
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