हास्य की भाषा नहीं लिखी है ,
नाही ग़ज़ल सुनाता हूं
कविता लिखने नहीं है आती
चीखें लिखता जाता हूं
देश मेरा जल रहा है
आग लगी है सीने में ,
हुकमरां सब व्यस्त दिखे हैं
खून गरीब का पीने में,
तो राम मंदिर या बाबरी का
पक्ष नहीं मैं लाया हूं।
घायल भारत चीख रहा है
चीख सुनाने आया हूं।
मैं चींख सुनाने आया हूं।
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