वो ख़ुश्बू भरा दुपट्टा, वो तन्हा ठंडी रातें
यूँ याद में तेरा घुलना, आँखों की वो बरसातें..
सपने में सीने लग के तेरा, तेरा वो यूँ मुस्काना
और हाथ मेरा फिर थामें, कदमों से कदम मिलाना..
मन के गलियारे में फिर... बिखरी ये रेत बही है
तुम चुप, मैं चुप, बातें चुप, यादों की झड़ी लगी है..
अब कितना भी तुम कह दो, कि याद मेरी नहीं आती
पलकें सूखी हैं तो क्या, आँचल में नमी वही है...
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