QUOTES ON #निंदा_रस

#निंदा_रस quotes

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25 MAR 2018 AT 7:40

निंदा-रस (लघु कथा)

आलोचकों की एक बस्ती थी,जहाँ के लोग एक दूसरे की आलोचना और बुराई करते रहते थे।जिसको जितनी आलोचना करने में महारत हासिल ,वहाँ उसे उतना ही सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। निंदा-रस की वहाँ गंगा बहती थी। यदि किसी दिन किसी को निंदा करने का सौभाग्य नहीं मिलता, वह दिन उसके लिए दुर्भाग्यपूर्ण होता।बस्ती के लोग मस्त और व्यस्त थे ,उन्हें कुछ और करने या सोचने का समय ही नहीं था।
संयोग से एक दिव्यांग उस बस्ती में पहुंचा ,जिसे कुछ दिखाई नहीं पड़ता, मगर उसके कान तेज थे। उसे वहाँ के वातावरण में अजीब मस्ती के स्वर सुनाई पड़ रहे थे, लोग चटखारे लेकर अपने और परायों का निंदा करने और बुराई बतियाने में मशगुल थे उसे सब खुश और प्रसन्न बातों से लग रहे थे।
दिव्यांग से रहा नहीं गया, गाँव के मुखिया के पास गयाऔर उसने कहा - "मुझे यहाँ का चलन अजीब लग रहा।सब कोई एक दूसरे की निंदा और बुराई करते हैं "
"हाँ ।बस्ती का दस्तुर है कोई किसी के पीठ पीछे निंदा कर सकता है,मगर सामने उसे चिकनी-चुपड़ी बातें करने
की शर्त है।"
"वाह.!"
"हाँ, यदि कोई किसी को बता दे कि उसकी निंदा हो रही थी तो भी उसे बुरा नहीं लगता ।" मुखिया ने दिव्यांग को समझाते हुए कहा ।
"क्यों?"
"क्योंकि यह निंदा करने वालों की बस्ती है। काश ! भगवान ने तुम्हारी आँखें नहीं छिनी होती तो देखते कि यहाँ के लोग निंदा करके कितने . ..।"

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29 SEP 2020 AT 9:13

सांप के काटने से शरीर में गए विष का
इलाज तो सम्भव है पर अपने स्वार्थ
सिद्धि हेतु या किसी के नजदीक जाने
के लिए झूठ या चुगली रूपी नाग द्वारा
रिश्तों में घोले गए जहर का इलाज
नामुमकिन है, इसलिए अपने इर्द
गिर्द मंडराते ऐसे बरसाती मेंढकों
को पहचान कर उन से बच कर
रहने में ही भलाई है

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11 SEP 2021 AT 10:21

व्यंगबाण
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साहित्य के नौ रस जरूरी नहीं सबको याद हो
पर निंदा रस हमने ऐसा रटा हुआ है कि
उसके बग़ैर समाज में जीने की कल्पना करना भी
महान पाप है ।
रसों का राजा श्रृंगार रस भी डगमगाता है
जब उसके समक्ष निंदा रस खड़ा हो ।।

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आज का विचार:-
जिस दिन से आप की निंदा होनी शुरू हो जाये, समझ लीजिये उस दिन से आप की तरक्की शुरू हो गयी...!!

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2 APR 2018 AT 22:53

चाटुकारिता और निन्दा मानो ईश्वर प्रदत वो उपहार है जो अलिंकृत व्यक्ति के चेहरे से हर समय सूर्य के प्रकाश की भांति चमकती ही रहती है, यहाँ टपकती कहना लेखन का अपमान होगा। सम्बंधित व्यक्ति अपने हुनर में इस कद्र मंझा हुआ है कि अपने सामने वाला उसे सदैव मूर्ख शिरोमणि प्रतीत होता है। झूठ कपट मन की कड़वाहट को शब्दो की चाशनी और चमकदार कागज में लपेटने की कला में निपुण निंदा रथ पर सवार अपने तरकश से जब भी विष बुझे शब्द बाण छोड़ेंगे अच्छे अच्छे सुरमा इस चमक में छुपे मूल उद्देश्य से बच नही पाते।
नासमझ इन बाणों से वीरगति पा जाते है, कम समझदार घायल अवश्य हो जाते है।

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10 SEP 2020 AT 15:03

*निंदा*
निंदा करना कितना घाटे का सौदा है?
निंदक हमेशा दूसरों के पाप अपने सर पर ढोता रहता है।
और दूसरों द्वारा किये गए
उन पाप-कर्मों के फल को भी भोगता है,जो उसने किये ही नहीं।
अतः हमें सदैव निंदा से बचना चाहिए।*

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17 FEB 2022 AT 16:17

कुछ नहीं करने वाले भी बहुत कुछ करते हैं;दूसरे की निंदा करना व आरोप लगाना भला सरल कार्य है क्या...!

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24 JUN 2019 AT 22:44

कहते है लोग सीख ले सबक धोके का
मैं कहता हूँ तू सीख ले ढंग दिलगी का
यू तो लोगो ने की है निंदा बहुत प्रेम की
मैं कहता हूँ अगर किया है प्रेम किसी एक से
तो सीख ले सबक तू सच्चे विश्वास का
नही तो जरूरत कहाँ पूरी होती हैं किसी एक से।

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14 SEP 2020 AT 0:24

निंदा = स्वभाव निर्मल करने का साबुन

मेरी निन्दा हो रही है बेसक होने दो और आप भी करो।
कृपया यह निंदा मुझ तक आने दो रोको मत ।।
मुश्किल से तो मेरे स्वभाव में निखार आया है।
मेरे स्वभाव को और निखर जाने दो ।।

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19 AUG 2022 AT 21:00

ख़ुश होना है तो तारीफ सुनिए।
बेहतर होना है तो निंदा।

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