मुझे याद है अपने सारे वादे पर तुम अभी तक यहीं हो क्या नाज़ है मुझे अपनी पसंद पे पर तुम ज़रा सी भी खुश हो क्या मुझे ये ख्याल बस यूं आया कि तुम्हारे ख्याल में मैं ही हूँ क्या इंसां हो गर इश्क़ भी ज़रूरी पर तुम भी ऐसा सोचती हो क्या मैं बदमस्त हूँ आशिक तेरा तुम्हें उश्शाक से परहेज है क्या अब मान भी जा भी ले क़बूल न सोच ये कि ये लोग सोचेंगे क्या