QUOTES ON #नारी

#नारी quotes

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30 NOV 2019 AT 16:58

कभी गर्भ में खामोश
कर देता है ये ज़माना
कभी मेरे अपने भी
कर देते मुझको बेगाना l
कहीं जवानी में
मैं बलात्कार को सह रही
क्यूँ जाति हमारी रोज
अत्याचार को सह रही I

मेरे जीवन में क्यूँ
ये पतझड़ की रुत आई है
मुझ पर जुल्म सितम की
क्यूँ ये रिहाई है l
नोचते जो जिस्म को मेरे
कहते हैं इन्सान
यही इन्सान है तो
जीवन हमारा विरान I

फौजी मुंडे sohan lal munday








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8 JUN 2019 AT 0:15

कोई औरत न कहलाये कभी बदचलन
यदि आदमी सुधार ले अपने चाल-चलन !!

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24 SEP 2019 AT 19:00

.... पांचाली के कृष्ण ....
( read in caption )

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13 JAN 2020 AT 23:10






ये तेरी अदाकारी,
लगती है इक शिकारी।
आदम के बांकपन पर,
हरदम पड़ी है भारी।
तू पान की गिलौरी,
ये पान में सुपारी।
इसके बग़ैर नर को,
फ़ीकी लगे है नारी।
जिसपे चलाए जादू,
हो इश्क़ का पुजारी।
नर, दैत्य, देव हारे,
ये शस्त्र तेरा, नारी!

अंजलि राज












— % &

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22 MAY 2019 AT 8:13

कोई पूछे तो रंजिश कहना,, कोई पूछे तो यारी
कोई पूछे हसरत क्या? कहना सीखी है अय्यारी

कोई पूछे तो बंदिश कहना, कोई पूछे तो हूँ नारी
कोई पूछे हसरत क्या? कहना उड़ना है इस बारी

कोई पूछे तो ख़लिश कहना,कोई पूछे तो आवारी
कोई पूछे हसरत क्या? कहना छोड़ी नहीं खुमारी

कोई पूछे तो तपिश कहना, कोई पूछे तो कटारी
कोई पूछे हसरत क्या? कहना जंग अभी है जारी

कोई पूछे तो कशिश कहना,कोई पूछे तो शिकारी
कोई पूछे हसरत क्या? कहना मर्द पे रही उधारी

कोई पूछे तो कोशिश कहना, कोई पूछे तो हारी
कोई पूछे हसरत क्या? कहना आज़ादी इस बारी

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14 APR 2019 AT 13:52

तुम्हारे हिस्से की आज़ादी...


in caption

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13 JUL 2019 AT 6:55

एक संदूक रखी थी अंदर बहुत अंदर,
सबकी नजर से दूर उसके अंतर्मन में,

चुपके से खुलकर कभी आँसू झलकाती,
कभी बिखेरती कुछ खुशियों के मोती,

कर देती उसे फिर तैयार लड़ने को,
वर्तमान परिस्थितियों से जूझने को,

पहले से मजबूत, आत्मविश्वास लिए
कमरकस कर फिर वह खड़ी हो जाती,

अपनी पहाड़ सी परेशानियों के सामने,
स्वयं उनसे भी बड़ी एक चट्टान बनकर...

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23 NOV 2017 AT 15:29

"हाँ, मैं नारी हूँ!"

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वो तुझ में जी उठती है
संग तेरे महक उठती है
ना होकर भी साथ तेरे
हर लम्हा वो संग रहती है
कुछ तोङी सी
कुछ मरोङी सी
वो कुछ अधूरी सी
बातें कहती है
तू मानता उसको
कहता पागल
पर वो तो इस पर
भी खुश हो लेती है
अपने जीवन के सपने
वो तेरे संग संजो लेती है
एक स्त्री हर हाल में
खुश हो लेती है
तकलीफों से डट लेती है
बिन कहे सब सह लेती है
बहुत ज्यादा जब वो
खुश होती तो
थोङा सा रो लेती है ।

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18 JUL 2020 AT 13:27

किसी मुलज़िमा पर अदालत न होगी,
किसी पाक दामन पे तोहमत न होगी,

अगर माँएँ बेटों को भी कुछ सिखा दें,
तो फिर बेटियों की ये हालत न होगी।

लाज़िम किया जाए मर्दों को पर्दा,
तो औरत की इतनी मुसीबत न होगी।

ये राधा, ये सीता, ये देवी बनाकर,
ये न सोचिए कि बग़ावत न होगी।

मगर औरतों! तुम भी कुछ कम नहीं हो,
न सोचो कि तुमसे शिकायत न होगी।

नहीं कर रही हो जो तुम ख़ुद की इज़्ज़त,
समझ लो तुम्हारी भी इज़्ज़त न होगी।

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