QUOTES ON #नाराज़गी

#नाराज़गी quotes

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19 APR 2019 AT 18:41

नाराज़गी जताना है पर उसे अपना न बताना है
खास है वो पर रिश्ता आम ही दिखाना है

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21 APR 2022 AT 15:15

वो कभी हुआ करते थे हमारे पर अब नहीं
कितने सुकूँ भरे थे वो लम्हे पर अब नहीं

तेरी तारीफों के शे'र से बनाते हम अपनी ग़ज़ल
ख़याल आता था अक्सर ख़यालो मे पर अब नहीं

छोड़ तो सकते थे हम तुम्हारी यादों का शहर
बना लेते अपना एक अलग शहर पर अब नहीं

अब उसने किसी और को करलिया तसलीम
खुद से नाराज़ रहा और ख़फ़ा भी पर अब नहीं

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30 NOV 2019 AT 2:12

फर्क नहीं पता उसे
चाहत और नाराज़गी में अपनी
के दोनों जज़्बात वो अपने
मुझसे गले लगकर जताता है...

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2 JUL 2021 AT 12:59

मेरे प्यार की हद को बेझिझक आज़मा लो तुम,
पर बहुत बारिक़ शरहद है वो ये कभी भूल ना जाना,
मुझसे बेशक़ नाराज़ रह लो तुम,
पर अपनी नराज़गी को कभी अपनी आदत मत बनाना,
दरारें तो बेशक़ आ गई हैं हमारे दर्मियाँ,
पर उन दरारों को कभी खाईं ना बनाना,
तुमने कह तो दिया की सारी खता मेरी है,
पर ये सवाल कभी अपने अन्तर्मन से भी पुछ जाना...!

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30 DEC 2018 AT 14:03

कुछ ख़फ़ा से लग रहे हो तुम आज कल,
कोई बात भी है या दिल भर गया हमसे?

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13 JUN 2019 AT 20:45

कितनी ही नाराजग़ी
मारे झगडों (Cat fight) के..

जब उसका टमाटर😡 सा चेहरा
आहिस्ता आहिस्ता मुस्कुराता है...

मैं अपने हाथों को उसकी तरफ
धीरे धीरे ले जाती हूँ..

हल्का सा वो भी करीब आता है
बाहों में भरकर एक दूजे को...

थोड़ा सा और मैं जी जाती हूँ
थोड़ा सा और वो मुस्कुराता है...

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10 JUN 2019 AT 19:39

हमारी नाराज़गी का ज़रा भी इल्म नहीं उन्हें,
वो जो कहते हैं तुम्हें औरों से ज़रा ज्यादा समझते हैं हम।

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28 JAN 2019 AT 22:03

माना ख़फ़ा हो जाती हूँ मैं हर छोटी बात पर,
तुम ख़फ़ा ही रहने दो मुझे इतना ग़ुरूर भी तो ठीक नहीं।

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14 JUL 2019 AT 10:48

कागज़ से क्या नाराज़गी,
याद नहीं वो वक़्त?
जब आपकी कश्ती ही यह बन गयी!
यह वह याद नहीं जब आपके लिए इन्होंने उड़ान भर ली!
तो एक बार फिर उड़ेद दीजिए अपने भाव,
जाने किस कदर भावविभोर हो जाएँ
और, अपने सपनों के ओर हो जाएं!

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29 JUN 2021 AT 19:10

ओ नाराज़गी,
तुम कुदरत का नायाब करिश्मा हो। कभी तुम झट से आकर दिन, महीनों, सालों रहती हो कभी तुरत-फुरत लौट जाती हो। कभी चुप्पी तो कभी शोर बनकर बाहर आती हो।
नाराज़गी तुम गुस्से जैसी बिल्कुल नहीं हो। गुस्से में थोड़ी देर के लिए ही सही, सामने वाला शत्रु लगता है। नाराज़गी के पीछे हमेंशा जिससे नाराज़ हुआ जाता है, उसकी भलाई की मंशा होती है। तुम सुधार की उम्मीद करती हो, मौके देती हो। तुम वापस चले जाने की मंशा से ही आती हो। तुम्हारे आते-जाते रहने से रिश्तों में जान बनी रहती है, ज़िन्दगी में रस बना रहता है। अपने अनोखे रंग-ख़ुश्बू-स्वाद से ज़िन्दगी मज़ेदार बनाने के लिए शुक्रिया।
तुम्हारा,

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