नादान दोस्त
हम अपने बगीया के गुल में घुल गए
तुम अपने बगीया के गुल में घुल गए
हम चार कदम दूर क्या गए..
तुम हमें भूल गए....!?!
पर साथ मुस्कुरा लेना खुशबू और बहार में
साथ देना,हौसला देना बंजर और हार में
साथ रहना खुशियों,चहचहाहट,हरियाली में
साथ रहना सुखे, गुमसुमाहट, बदहाली में
ऐ मेरे नादान दोस्त तू बढ़ नदी की तरह
बस विनती इतनी कि अपने किनारों को याद रख
याद रख वो भीतर बहते आत्म समर्पण को
याद रख और ये दोस्ती जिंदाबाद रख
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