अच्छे दिन जरूर आयेंगे हम और आप नहीं देख पायेंगे कुछ पहले कहकर चले गए अब ये भी कहते रह जायेंगे अर्थ ब्यवस्था सुस्त पड़ी है मजदूरों की भी दुखद घड़ी है लगता हम आम सभाओं में मोदी मोदी कहते रह जायेंगे
दुखिया का कोई मीत नहीं है शोषण की अब भी रीति वही है सात साल गुजरे बस ऐसे नम्बर दो वाले हैं जैसे के तैसे उन लोगों ने खाली बैंक किये ये घर भी खाली कर जायेंगे अच्छे दिन जरूर आयेंगे हम और आप नहीं देख पायेंगे
मुद्दों से ध्यान बंटाना जिसे आ गया वो सत्ता का ताज पा गया जातिपांति का वही गणित पुराना चुन चुनकर मोहरे बैठाना। जगह नहीं निर्धारित अब तक 2022तक आशियां कहाँ बनायेंगे। अच्छे दिन जरूर आयेंगे हम और आप नहीं देख पायेंगे।
बात अगर खुद पर आए , तो हर इंसान सोचता है, अपनी नाकामी में ,गलतियां औरों की खोजता है। गुरुर देखा है मैंने आजकल, इंसानो की फितरत में एक दफा भूख मिट जाए ,तो दुबारा कहाँ पूछता है।