ऐ नसीब,मिला दे मुझे उससे,
जिसकी मुझे तलाश है,,
जिससे बिछड़कर फिर नहीं मिला हूं,
जिसके हाथ के पानी का मुझमें प्यास है,,
आखिर तूने ही तो नसीब,
हमें जुदा किया था,
उसके लिए कुछ न कर सका,
तभी मेरे लब पे काश काश है,,
दिल की जज़्बात समझ न ऐ नसीब,
देख तो,उसके बिन ये दिल कितना उदास है,,
कैसे जुदा होकर जीते है दो दिल,
क्या उनके दुख दर्द का तुझे एहसास है,,
गम के अंधेरे में जिंदगी जीते है हम,
तू अंधेरे को दूर कर दे,तेरे पास तो प्रकाश है।।
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