#नमन #
जीव जन्म से,प्रथम शब्द तक,
स्नेह,मोह,कर्म शिक्षा तक,
रोम रोम है ऋणी जिसका,
प्रथम शिक्षिका माता के,
सहज,सतत पूजित चरणों मे,
मेरा शत शत बार नमन।
क्रोध मोह का अप्रतिम समन्वय,
पाषाण हृदय के कोमल,तल में जिसके,
निहित सार सच्चे जीवन का,
मान,हया, गर्व,जीवन धन,
जो निःस्वार्थ दान देता है,
प्रथमपूज्य चरणों को पिता के,
मेरा शत शत बार नमन।
पग पग देतें हैं साथ सदा,
तय करते हैं जो दिशा धर्म,
सिंचित करते हैं राष्ट्र वृक्ष,
जो खुद के लहू पसीने से,
शिक्षा मंदिर के सदेह ईश्वर को,
मेरा शत शत बार नमन।
है मेरा शत शत बार नमन।।
#गौरव #
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