सबको खुश करते करते खुद की खुशी के बारे में कभी सोची ही नहीं,
सबकी पसंद नापसंद याद रखते रखते खुद की पसंद का ध्यान ही नहीं रहा।
कैसे मैं खुश हूँ या मुझे क्या पसंद हैं इसकी मुझे खबर भी नहीं,बस जो ठीक लग जाता अब वहीं पसंद बन जाता।
छोटी छोटी चीजों में खुशी तलाश कर लेती हूं, ऐसे ही खुश रह लेतीं हूं।
खुद को खुद की खबर नहीं थी शायद, खुद कहीं खो गई थी ।
बैठे शाम आज याद आयी, बहुत कुछ पीछे छोड़ आयी
कुछ सीखना बाकी रह गया था वक्त भी निकल गया शायद अब देर हो गया जो सीख ना पायी।
अंदर झांकी मैं खुद के ,तो खुद को बहुत उदास पायी
कुछ हकीकत देख आज फिर आंखें भर आयीं।
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