QUOTES ON #नम_आँखे

#नम_आँखे quotes

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31 MAR 2019 AT 16:11


पलकें है भीगी-भीगी
आँखें है नम यारा..........*
दिल भी रो रहा है
फिर भी लब मुस्कुरायें......*
ओ कान्हा तुमको क्या बतायें
तू तो सब जानता है
क्या हकीकत है.......*
क्या है फ़साना मेरा
तू तो मन का दर्पण कान्हा
बिन बोले सब पढ़ लेता है
किस दर्द से गुज़र रही हूँ
ओ मेरे कान्हा..........*
तुमको क्या बतायें.........*
तू तो सब जानता है यारा........*
-Sunita Singh



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नम आंखे और चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए,
वो माँ आज भी घर से निकलती है, दिल मे गहरा तूफान लिए ।।

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27 MAY 2020 AT 14:50






हृदय की असीम पीड़ा बिछड़े थे दोनों
जो लब्जों से बयान न हो सकी, एक जन्म और
उनकी नम भरी आँखों नियती ने उनका
ने बिछड़ते वक्त नाम जन्म जन्म के
सबकुछ बयान कर दिया।। लिए जोड़ दिया।


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9 SEP 2021 AT 20:42

आज कल आँखें मेरी नम हैं, ना जाने कैसा ग़म है!
मुस्कुराते तो हम हरदम हैं, पर लगता है.... ये भी एक भ्रम है!

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25 MAY 2020 AT 16:00

आंखें नम हैं और
हाथ खाली इसलिए

मैं बस दुआ दे सकती हूं
आज वो भी मुबारकबाद के साथ
क्योंकि दुआ से बढ़कर कोई
तोहफा नहीं हों सकता इसलिए

आप सभी को मेरी तरफ से
ईद मुबारक
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:: :: :: :: :: काव्यांजलि :: :: :: :: ::
:: :: :: :: :: अनुशीर्षक में पढ़िए :: :: :: :: ::

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29 APR 2020 AT 16:21

यूं तो हर वक्त मिलता रहा कोई न कोई,
गम ये रहा कि वक्त पर कोई मिल ना सका ।।

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29 AUG 2020 AT 10:49

सबको खुश करते करते खुद की खुशी के बारे में कभी सोची ही नहीं,
सबकी पसंद नापसंद याद रखते रखते खुद की पसंद का ध्यान ही नहीं रहा।
कैसे मैं खुश हूँ या मुझे क्या पसंद हैं इसकी मुझे खबर भी नहीं,बस जो ठीक लग जाता अब वहीं पसंद बन जाता।
छोटी छोटी चीजों में खुशी तलाश कर लेती हूं, ऐसे ही खुश रह लेतीं हूं।
खुद को खुद की खबर नहीं थी शायद, खुद कहीं खो गई थी ।
बैठे शाम आज याद आयी, बहुत कुछ पीछे छोड़ आयी
कुछ सीखना बाकी रह गया था वक्त भी निकल गया शायद अब देर हो गया जो सीख ना पायी।
अंदर झांकी मैं खुद के ,तो खुद को बहुत उदास पायी
कुछ हकीकत देख आज फिर आंखें भर आयीं।

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20 JUN 2021 AT 16:17

दिल को बेताब रखों पर आंखों में पानी न हों,
ख़्वाब देखो ऐसे हकीक़त को परेशानी न हों,
उस शख़्स से करों दावा सच्ची मोहब्बत का,
जिसे वफ़ा की बात सुनकर भी हैरानी न हों,

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28 MAY 2021 AT 15:04

खबर उनकी ना मिली
ना अपनी खबर दे सके
दर्द दिल में रिसता रहा
नम आँखे बयां करती है

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9 APR 2021 AT 12:29

खेल रहे अरमानो से जो बैठे उच्चे पदों पे हैं
दे दिलासा झूठे वादों का खेल अच्छा खेलते हैं
बेरोजगारी से देखो टूटे बिखरे अरमान हैं
हाए! गरीबी पर देखो कैसी मंहगाई की मार हैं।

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