QUOTES ON #नदिया

#नदिया quotes

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28 OCT 2023 AT 16:08

नैना तरस गये,आये नहीं रसिया.
नीर बहाये ऐसे,जैसे बहे नदिया..

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2 APR 2020 AT 21:01

तू कौन हैं यारा, परछायी या तसव्वुर, जिसमें देखूँ मैं अक्स मेरा..
एक कविता हो या कवि की कल्पना, जिसमें देखूँ मैं अक्स मेरा..
तस्वीर की फ्रेम हो या फ्रेम की तस्वीर, जिसमें देखूँ मैं मेरा अक्स..
नदी किनारा या कलकल बहता पानी, जिसमें देखूँ मैं मेरा अक्स..
अथाह सागर या उसमें उठती लहरें, जिसमें देखूँ मैं मेरा अक्स..
उडता बादल या उसकी घ नेरी छांव, जिसमें देखूँ मैं मेरा अक्स..
वो पुरवाई या कोई पवन का झोंका, जिसमें देखूँ मैं मेरा अक्स..
पंछियों की कलरव या उड़ता पंछी, जिसमें देखूँ मैं मेरा अक्स..
बिखरा सपना या सपने की कहानी, जिसमें देखूँ मैं मेरा अक्स..

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11 JAN 2019 AT 17:56

दिल की धड़कन कहती है कि तुम ही दिल के अंदर हो
मन नदिया जिस ओर बह चली ,तुम ही तो वो समंदर हो

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वो बारिश- बारिश रहता है ,
मैं नदिया- नदिया बहती हूँ ।
वो एक हवा का झोंका -सा ,
मैं आंधी- आंधी रहती हूँ ।
वो मेरी आँखों का काजल ,
वो मेरे होंठो की लाली ।
वो मुझको प्यार सिखाता है ,
मेरी आँखें उसके ख्वाब सजीं ।
वो सहराओं में रहता है ,
मैं दरिया दरिया बहती हूँ ।
वो मुझको राधा कहता है ,
मैं उसको कान्हा कहती हूँ । ...

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21 JAN 2022 AT 20:21

# 21-01-2022 # गुड मार्निंग # काव्य कुसुम #
# सुख # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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सुख की खोज में रहने वाला सदा दुःखी रहता है।

सुख पाने की उत्कंठा के चलते दुःख सहता है।

बन सहज-सरल सुखी बनाओ अपने जीवन को -

जीवन तो नदिया की मानिंद प्रतिपल बहता है।
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1 DEC 2020 AT 22:33

कल कल बहती नदिया,
कब काल हो गई,

बुझ गया कुलदीप, ज़िन्दगी
अंधियारी रात हो गई.

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13 MAY 2020 AT 7:53

भावनाऐं जब भावनाओं से टकराती हैं
एहसास की नदिया वेग से बह जाती है

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21 MAY 2019 AT 17:47

तू बहती नदिया सी ही तो थी
और मैं सोचता था तू मेरे लिए ठहर जाएगी

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29 OCT 2023 AT 13:35

थक गए अब तो नैना भी नीर बहाकर तेरे याद में
लगता है अब तो जैसे सावन को बीते हो गए बरसों

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6 JUN 2020 AT 11:22

नदिया और निर्झर

अरी नदिया...कब अर्थ मुझे दोगी
यद्यपि सागर में खोना है मुझे
तथापि निरर्थक नहीं होना मुझे
लांघती हो कंकड़ पत्थर
बंध जाती हो जाति के हितकर
मगर मुझे जो लील लेते हैं
ये किनारों के बेघर
स्याह होकर, मलिनता ओढ़कर
चलती ही जाती हो
ऐसे में कभी कुपित होकर
पिशाचिनी कहलाती हो
चलो धरा से निवेदन कर
बहें भूमिगत होकर और
फिर मिलें प्रिय से हम
अपना अस्तित्व भूलकर
तुम नदिया मैं निर्झर...

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