ज़िन्दगी की कश्मकश में, देखते देखते बीत ये साल भी गया
अच्छा तो कुछ खास रहा नहीं, बुरा होने का मलाल भी गया
बहुत शुक्रगुजार हैं अपने ख़ुदा की रहमतों का, जो बच गए
चलो अब कयामत की खौफनाक रात का सवाल भी गया
कुछ उम्मीदें नई जगाओ, कुछ ख़्वाब नए साजाओ "निहार"
बीतते इस साल के साथ, जो भी था बुरा वो ख़्याल भी गया
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