जलता है, अग़र पडोशी का चुला, जलने दे, जलता हुआ देख, क्यूँ जलने लगे हम, खाने में नमक ज़्यादा है, या मिर्च कम, वो भला क्यूँ सोचे हम, ख़ुश्बू अच्छी है, है तो है, उसकी फ़िक्र क्यूँ करे हम, जलता है, अग़र पडोशी का चुला, तो जलने दे, उसका धुँआ क्यूँ बने हम,
हवाएं अक्सर खटखटाती रही दरवाज़े मेरे भीतर के और मैंने खुद को चराग सा कुछ यूं जलाया कि फिर बिन हवा के मुझे बुझाया गया अब तो बस धुँआ धुँआ हूँ मैं हवा के संग भटकता
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