QUOTES ON #दृष्टि

#दृष्टि quotes

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13 MAY 2022 AT 13:19

प्रेम.. नफ़रत... दया.. करुणा.. बेदना...
हमारे ह्रदय में इनकी प्रविष्टि हमारी दृष्टि के
द्वारा ही होती है.. हमारा ह्रदय दृष्टि के हिसाब से एहसासों को बाँटता है,

हम किस बस्तु व्यक्ति को किस नज़र से देखते हैं..
हमारा ह्रदय उसके अनुसार अपने अंदर उसका एक प्रतिविम्ब सा बना लेता है...
औऱ वो प्रतिविम्ब ही हमारे सुख दुःख का कारण बन जाता है,

अज़ीब बात है ना... जो हमें जितना दुर्लभः लगता है वो उतना ही अधिक प्रिय औऱ मूल्यवान लगता है... अब देखो ना... एक मक्खी या चींटी के मरने की अपेक्षा में एक हाथी का मरना हमें ज्यादा दुखदायी लगता है...
बस दृष्टि ने आकार औऱ प्रकार के हिसाब से उनका मुल्यांकन तय कर लिया...
...पऱ जीवन तो दोनों में था ना,

जीवन में एक ही बात सीखी है के जब कोई भी चीज़ अपनी तय सीमा से अधिक हो जाती है तो हमारी दृष्टि उसका मुल्यांकन कम कर देती है.. इसलिए जीवन में अधिक की अपेक्षा क़भी ना करना...

अधिक ख़्वाब अधिक ख़्वाईशें... अधिक स्नेह.. अधिक प्रेम... अनदेखे से हो जाओगे..
अब ख़ुद ही सोचो ना.. हजारों तारों में हमारी दृष्टी चाँद को ही क्यूँ ढूंढ़ती है!!

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10 JUL 2017 AT 23:26

यह अलौकिक दर्शन की शक्ति हमें,
परमपिता परमात्मा से प्राप्त हुई है
जिसके फलस्वरूप हम सही व गलत,
उचित व अनुचित, सुंदर व वीभत्स,
भव्य व गौण, इत्यादि दृश्यों का
अवलोकन करने में सक्षम हुए हैं
परंतु यह कहना अनुचित नहीं होगा
कि वस्तुतः कई बार हमारी दृष्टि पर
हमारा दृष्टिकोण कुछ इस प्रकार
हावी हो जाता है कि उसके फलस्वरूप
हम वही देखते हैं जो हम देखना चाहते हैं |



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उस महाकाल की दृष्टि है,
तभी तो सारी सृष्टि है।
इस काल चक्र पर उनकी ही,
हरपल होती ही दृष्टि है।
प्रकृति की सौंदर्यता को देखो,
यही सत्य की पुष्टि है।

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18 FEB 2018 AT 21:28

उसके जूते चमक रहे थे। कपड़ों की चमक भी देखने लायक थी। आँखों में भी एक अलग सी चमक थी। मगर उसकी दृष्टि जहाँ गड़ी थी उससे उसकी मन की मलिनता साफ दिखाई दे रही थी।

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18 APR 2018 AT 7:55

मिली जो दृष्टि
होने लगी वृष्टि
अद्भुत ये सृष्टि

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4 JAN 2021 AT 13:45

स्वार्थ में तो सभी अंधे हैं
चर्चा सिर्फ हमारे आँख की है

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6 MAY 2021 AT 6:03

दिल लगाना हो, तो सिर्फ़ दृष्टि आईएएस की किताबों से लगाओ,
अगर बेवफ़ा भी निकली तो...... आईएएस बना कर ही छोड़ेंगी।।

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2 APR 2019 AT 9:25

दृष्टि का बदलना,जीवन
का सबसे बड़ा बदलाव है।

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12 DEC 2019 AT 7:38

जब सब कुछ दिखना बन्द हो जाता है
तो सब कुछ दिखने लगता है।

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12 FEB 2021 AT 8:56

जिस निष्ठा से अर्पित किये जाते हैं
देव चरणों में पुष्प विल्वपत्र!
जिस भाव से अहर्ता बनकर
ईश को ज्ञापित किये जाते हैं अपेक्षा पात्र।
उसी भाव की सम्यक दृष्टि से देखना मुझे......

प्रीति

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