यह अलौकिक दर्शन की शक्ति हमें,
परमपिता परमात्मा से प्राप्त हुई है
जिसके फलस्वरूप हम सही व गलत,
उचित व अनुचित, सुंदर व वीभत्स,
भव्य व गौण, इत्यादि दृश्यों का
अवलोकन करने में सक्षम हुए हैं
परंतु यह कहना अनुचित नहीं होगा
कि वस्तुतः कई बार हमारी दृष्टि पर
हमारा दृष्टिकोण कुछ इस प्रकार
हावी हो जाता है कि उसके फलस्वरूप
हम वही देखते हैं जो हम देखना चाहते हैं |
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