"मिला तो दो"
ऐ चाँद उनको मुझसे, अब मिला तो दो
हमारे प्यार का गुल, अब खिला तो दो |
बिना हमदम जिंदगी, कुछ अधूरी सी लगती है
कब तलक अकेले चलूं, कोई काफिला तो दो।
मैं तो उनके खयालों में, खोया ही रहता हूँ
उन्हें भी मेरे खयालों का, जाम पिला तो दो |
दो अनजान दिलों नें, एक सफर पे चलने की ठानी है
इश्क के इस अंधेरे में, कोई रोशनी झिलमिला तो दो।
चमक सी रहती है उनके मुखड़े पे, जब वो मुस्कुराती हैं
उदास हैं मेरी फिक्र में, चेहरा उनका खिलखिला तो दो।
वो मुझसे अब "नवनीत", इतनी दूर रहतीं हैं
पास आने का हमें, कोई सिलसिला तो दो ||
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