सरक जाए जब दुपट्टा मेरे सर से, तो तुम संभाल लेना ।। चलू जब राह पर अकेले, तो बिन कहे हाथ थाम लेना।। हर बार सारी बात बयां ही करू क्या, कुछ बातें तो बिन कहे भी समझ लेना ।।
अँधेरी रात में सुनी सड़क में मैं हूँ, मेरे हाथ में दो जाम एक सुट्टा हो, तेरा एक बार फिर कोई आशिक पक्का हो, तेरे नाम चल आज फिर एक दुप्पटा हो, जो तू कर दे इनकार अब मेरी आशकी से, तो खुदा कसम तेरे नाम पे बवाल आज पक्का हो!!
हम जु़बान पर इश्क और सीने में रंजिश लिएे चलते हैं, वो आज भी दुप्पटा इश्क का औढ़ कर निकलती हैं, फिर कोई मुत्मईन हो कर तेरी और बढ़ने लगता हैं, हश्र उसका भी फिर कुछ मेरा जैसा दिखाई पड़ता हैं ||