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शब भर गुजरी जाग कर, तुमको रूबरु सोच कर,
हर्फ़ हर्फ़ चुन के लिखा, जरिया खत इज़हार का!
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शर्म हया की मूरत तुम, लाया दुपट्टा तुम्हे सोच कर,
बन रंगरेज मेने रंग दिया, जरिया दुपट्टा इज़हार का!
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सोने चांदी की बात पुरानी, अलग सोचा तुम्हे सोच कर,
रेज-ओ-गुल से गढ़ी पायल, जरिया पायल इजहार का,
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तरह तरह के फूल थे, चुना सिर्फ तुम्हे सोच कर,
सुर्ख गुलाब बागवान का, जरिया गुलाब इज़हार का!
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कशमकश की हद से, दिल से सोचा तुम्हे सोच कर,
अब रूह तेरे नाम से, जरिया रूह इजहार का!
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...Mr Kashish...
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