QUOTES ON #दुपट्टा

#दुपट्टा quotes

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15 SEP 2020 AT 8:51

ऐसा नहीं कि कोई किसी से बुरा कम होता है,
कहीं आग कम होती है, कहीं धुआँ कम होता है!

दर्ज होता है बहुत कुछ तारीख़ के सफ़हों में मगर,
जो लिखा होना चाहिए, वही लिखा कम होता है!

मुंतज़िर हूँ तुमसे की कभी पलट कर तो तुम देखो,
मिले दिल को तसल्ली भले इकरार कम होता है!

बेल्फ़ज़ बयां खामोशी का तज़ुर्मा अपना अपना,
निगाहें झुके इकरार से तो इनकार कम होता है!

दरमियाँ वस्ल में वो आलम बदहवासी का उफ्फ,
शोला बदन शर्म-ए-गाह पर दुपट्टा कम होता है!

तकाज़ा उम्र का देती के काफिर दिल की धड़कनें,
जीने को तो जीते हो तुम पर जीना कम होता है!

काफ़िराना है तेरी दलील, सदाक़त नहीं है "राज" _राज सोनी
रद्द-ए-अमल मोहब्बत की पर जाहिर कम होता है!

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26 JUL 2022 AT 9:01

इश्क का सुरूर ही था, पल-पल तवज्जो देती दुपट्टे को,
छिपा लेती तुम गहरी साँसों को बना के सहारा दुपट्टे को!

जब हुआ एहसास तुम्हे कोई तुमसे मोहब्बत करता है,
तब से बहुत सहेज के रखने लगी तुम अपने दुपट्टे को!

वो ख़्वाब-ओ-ख्यालों में गुजर जाए या नजरें टकरा जाए
शरमा के सर पर रख लेती तुम बना के पल्लू दुपट्टे को!

निगाहें झुका कर चलती हो जब मेरी राह से गुजरती हो
करती हो नज़र-ए-इनायत बना के ओट तुम दुपट्टे को!

वक़्त-ए-मुलाकात के मंजर में गुफ्तगू की कशमकश में,
शर्म-ओ-हया से अंगुलियों से लिपटा लेती हो दुपट्टे को!

बेख्याली के मंज़र में और दिलकश यादों की यादों में,
भूल जाती दुरुस्त करना, सीने से लिपटे उस दुपट्टे को!

उसकी सलामती की फिक्र में बेसुमार दुआएं करती हो
मन्नत जाए ना खाली तो तेरी, गांठ लगा लेती दुपट्टे को!

हमारा मिलना रब की मर्ज़ी पर "राज" की एक ख़्वाहिश है,
दे दो मुझे तुम प्यार का तोहफा बतौर निशानी दुपट्टे को!
_राज सोनी

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15 JUN 2020 AT 8:16

खुद को तकलीफ देकर तेज धूप में जाना बंद हो,
जो छत पर रोज तेरा बालों का यूँ सुखाना बंद हो|

तेरी झलक को खड़ा रहता गली के नुक्कड़ पर
हो आसमाँ में चाँद, पर अमावस की रात बंद हो!

घूरती है लोगो की बदकार निगाहें सरेराह तुमको
नहीं है बर्दाश्त, तेरे दुपट्टे की गुस्ताखियां बंद हो!

एक शिकायत है तुम्हारी सहेलियों की, समझा दो,
नश्तर सी चुभती, देख मुझे उनका मुस्कराना बंद हो!

साइकिल की चेन तेरे घर के सामने ही बिगड़ती है,
करना है दीदार, खिड़की का परदा गिराना बंद हो!

काफी हो चुका लिख लिख के यूँ मोहब्बत जताना,
रूबरु मिलो, किताबों में चिट्ठियां रखना अब बंद हो!

आखरी वक़्त तेरा फैसला झटके से मुल्तवी करना,
"राज" बाबा हैं घर पे अभी...तेरा यह बहाना बंद हो!
_राज सोनी

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6 JUL 2020 AT 22:48

रात हो गई सो जाइए
आप हमारे करीब सो जाइए

हमको अंधेरे से डर लगता है
मेरी उंगली पकड़कर कर सो जाइए

काले बादल छुपता चांद
चेहरे से दुपट्टा हटाइए सो जाइए

हम रोए है कई रात इस तकिए तले
इसको सीने से लगा कर सो जाइए

मेरे बारे में मत सोचिए वरना ख़्वाब में आऊंगा
पुराना सब भूल जाइए शून्य में सो जाइए

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31 MAY 2021 AT 23:06

मोहतरमा, समझिए ज़रा
कायनात के इशारे...
आपका दुपट्टा भी मेरी
शर्ट में अटक गया है...

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21 JUL 2021 AT 10:28

एक दलदल से ख़ुद को निकाला है मैंने,
गैरों ने मुझे चाहा है मगर टाला है मैंने,
ये जो तुम कहती हो कि ज़िस्म की तलब है मुझे,
तेरा सरकता हुआ दुपट्टा हमेशा संभाला है मैंने।

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30 SEP 2020 AT 19:14

मैं पलटा और ठहर गया..
हाथों में ट्रे थामे उस लड़की पर
पटियाला सूट की उस फुलकारी पर,
कंधे से झूलते चौड़े दुप्पटे में,
घुँघराले बालों की चोटी और
काजल लगी साँवली आँखों पर...
उसने ट्रे रखी तो
निगाह कलाई से लगे तिल पर चिपक गई..
कलाइयाँ इतनी खूबसूरत होती हैं,
मैं नहीं जानता था....!❤️
Insta|love_ki_pathshala_

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1 FEB 2020 AT 8:15

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शब भर गुजरी जाग कर, तुमको रूबरु सोच कर,
हर्फ़ हर्फ़ चुन के लिखा, जरिया खत इज़हार का!
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शर्म हया की मूरत तुम, लाया दुपट्टा तुम्हे सोच कर,
बन रंगरेज मेने रंग दिया, जरिया दुपट्टा इज़हार का!
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सोने चांदी की बात पुरानी, अलग सोचा तुम्हे सोच कर,
रेज-ओ-गुल से गढ़ी पायल, जरिया पायल इजहार का,
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तरह तरह के फूल थे, चुना सिर्फ तुम्हे सोच कर,
सुर्ख गुलाब बागवान का, जरिया गुलाब इज़हार का!
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कशमकश की हद से, दिल से सोचा तुम्हे सोच कर,
अब रूह तेरे नाम से, जरिया रूह इजहार का!
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...Mr Kashish...

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28 JUL 2017 AT 11:17

गिरा जो दुपट्टा तुम्हारे कन्धो से
दिल डोला मेरा ऐसे
कि डोलते ही तेरी यादें आई
यादों में तेरी परछाई नजर आई
नज़र आते ही बालों को सहलाई
सहलाकर दिल में सुकून भर लाई
मायूस से चेहरे पर चमक ले आई
सपने जैसे मेरे कि पूरी हो आई
ख्वाबो में तुम आज नज़र जो आई
नज़र आकर दिल में एक हलचल सी लाई
अब यादों में तुम ,
नींदो में तुम ,
राहों में तुम,
जज्बातों में तुम,
मेरे रूह में तुम,आँखों में तुम,
दिल के हर साँसो में तुम,
सपनें में तुम
दिल के अब हर कोने में तुम
अब हर जगह बस तुम ही तुम !!

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25 JUL 2017 AT 17:09

मेरे दुपट्टा डाल लेने भर से
अगर समाज की इज्जत बढ़ जा रही होती तो
आज खुलेआम आंखों से ये बलात्कार न होते
और समाज के ठेकेदार यूं आंख मूंदकर न सोते

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