QUOTES ON #दुखः

#दुखः quotes

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24 NOV 2018 AT 16:20

मेरे दुःख का कोई, ख़रीदार नहीं मिलता
जहाँ बेच दूँ इसे, वो बाज़ार नहीं मिलता

कोई मुफ़्त में दे जाता है,कोई दे कर भूल जाता है
क्या देने के लिए, कभी प्यार नहीं मिलता

अब अपने भी कहाँ, इसे बाँटने आते हैं
जो बाँट ले इसे, वो हिस्सेदार नहीं मिलता

यूँ गले में पड़ा है, भारी हार सा मेरे
गिरवी रख सकूँ, वो साहूकार नहीं मिलता

मेरे दुःख का कोई, ख़रीदार नहीं मिलता
जहाँ बेच दूँ इसे, वो बाज़ार नहीं मिलता

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4 DEC 2018 AT 13:21

दुखःचा डोंगर कोसळला
म्हणून हसण का सोडायच.
सुखाचा वर्षाव झाला
म्हणून माणुसकीला का विसरायच...

प्रेम नाही मिळाल म्हणून,
प्रेम करण का सोडायच.
प्रेम मिळाल म्हणून,
इतरांना का हिणवायच.

हारलो म्हणून
रडत का बसायच,
जिंकलो म्हणून,
गर्वाने का फुगायच.

सोपा असतो मार्ग म्हणून,
असत्याचा मार्ग का धरायचा.
अवघङ असतो मार्ग म्हणून,
सत्याला का सोडायच.

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24 JUN 2020 AT 8:35

नयनांतल्या सार्‍या आसवांच,
थोडस सुख थोडस दुखः लिहीन.
मनातल्या सार्‍या आठवणींच,
थोडस धड थोडस मुख लिहीन.

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4 JUN 2020 AT 10:20

इन्सान जिंदा है,
इंसानियत मर चुकी है।
इन्सान अब हैवान बन चुका है,
इन्सान अब जानवरों से भी गिर चुका है।

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24 MAY 2017 AT 18:42

उसके दुखों का पैमाना भी समंदर जैसा था
विशाल, गहरा, काला

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6 JUL 2020 AT 12:22

दुःख आते हैं जीवन मे मौत का पैग़ाम लिए!!
ओर हम ठहर जाते है झूठी उम्मीद लिए!!

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21 SEP 2021 AT 12:38

दु:ख क्या होता हैं?

आगर कोई समझता
तो..
दु:ख ही नहीं देता..

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7 MAR 2019 AT 11:28

अब बस कर ऐ मेरी अजीज बदकिस्मती
पता हैं मुझे तेरी मेरी घनिष्ठता बेहद पुरानी

किस्मत को ना आने दिया तुने कभी समीप
क्योंकि विशिष्ट सौतन थी तेरी बहना स्यानी

जो चंद प्रसंता थी मेरे चेहरे में बहुत पहले
ना जाने कहा काल के उदर में समा सी गई

शनै शनै ना आ मेरी दहलीज में ऐ मेरे दुख
कतरा कतरा रोम का थर्रा सा रहा अब मेरा

किस्मत फिर वापस लौट आ जाती है सब की
यह सब अब रंगीन किताबों में पढ़ता रहता हूँ
-DEEP THINKER

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10 JUL 2021 AT 9:44

स्त्री की भांति पुरुष रोते नही है अपितु
वह सारे दर्द को अपने भीतर समेट लेते है
और अंत में टूट कर बिखर जाते है।

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24 DEC 2018 AT 12:00

खुदा तेरे जहां में जैसी हुई मेरी,,
वैसी किसी की हालत न हुई,,

जिसे चाहा वो नही मिला मुझे,,
जो मिला उससे कभी मोहब्बत न हुई,,

मेरी तन्हाइयों का मोल ही लगा लेते तुम,,
जाने दो,,इतनी भी तुमसे राहत न हुई,,

मोड़ आया तो काफ़िले का साथ छोड़ दिया,,
बुरे वक्त में खुद से इतनी भी चाहत न हुई,,

उदास मन निकल पड़ा ,,बेमंज़िल कि तरफ ,,
छोड़ दूंगा साँस ,,गर और जीने की इजाज़त न हुई,,

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