खुदा तेरे जहां में जैसी हुई मेरी,,
वैसी किसी की हालत न हुई,,
जिसे चाहा वो नही मिला मुझे,,
जो मिला उससे कभी मोहब्बत न हुई,,
मेरी तन्हाइयों का मोल ही लगा लेते तुम,,
जाने दो,,इतनी भी तुमसे राहत न हुई,,
मोड़ आया तो काफ़िले का साथ छोड़ दिया,,
बुरे वक्त में खुद से इतनी भी चाहत न हुई,,
उदास मन निकल पड़ा ,,बेमंज़िल कि तरफ ,,
छोड़ दूंगा साँस ,,गर और जीने की इजाज़त न हुई,,
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