QUOTES ON #दीवारोंकेक़ैदी

#दीवारोंकेक़ैदी quotes

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16 JUL 2018 AT 23:28

"दीवारों के कैदी हम"

दूर-से-दूर वीयावान से
खंडर से और मकान से ॥
दीवारों के क़ैदी हम
ऊचक-ऊचक देखते हैं रोशनदान से ॥

गहराई की गहराई में
है समां बात बुनने को ॥
अरे! कहाँ है समां अब
बात किसी की सुनने को ॥

ठूँस - ठूँस भरे विचार
किनसे करें बातें चार ॥
लौट रहे खंडरो को
वे झूठी मुस्कान से ॥

दीवारों के क़ैदी हम
ऊचक - ऊचक देखते हैं रोशनदान से ॥

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16 MAY 2020 AT 18:50

बहुत तकलिफ देते हैं, वो जख़्म जो अंधेरी रातों में आते हैं,और सूबह की पहली किरण में धुँधले हो कर हम में ही रह जाते हैं,

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17 JUL 2018 AT 11:41

"हवाएँ!अब काबू में न रही,
दीवारों के कैदी है हम।"

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17 JUL 2018 AT 8:53

उस महल सी कोठी के आलीशान कमरे में
सुबह सुबह इक मौत हुयी है
रात भर दर्द में अकेली
बिलखती रही है बूढ़ी माँ

गमगीन बेटा अब ग़रीबी के दिनो को याद कर
बस यही सोच रहा है
कि छोटी सी झोपड़ी में रात
कोई खाँसता भी था अगर
तो पूरा परिवार सम्भालने उठ जाता था

रइसी के दिनों में अलबत्ता कमरे ज़रूर ज़्यादा है
ख़ून के पक्के रिश्ते भी मगर अब
अलग अलग दीवारों में कैद है !

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17 JUL 2018 AT 10:43

"दीवारों के कैदी हम"

इस तेज भागती दुनिया में
जमाने ऐसे भी आएंगे,
जब धरती पर इंसां से ज्यादा
हर तरफ मकां हीं नज़र आयेंगे!
ना धूप रहेगी हिस्से में
ना पेड़ों की छाँह रह जाएगी,
तब ईंट और पत्थरों के हीं
यहाँ फूल उगाएं जाएंगे!
तब चाँदनी रातों में फिर
चकोर को चाँद नज़र ना आएगा,
हसीं वादियां, खुला आस्माँ
ये सब किस्से बन जाएंगे!
आस्माँ छूती इमारतों के बीच
जीवन कहीं खो जाएगा,
जब रौशनदानों से झांकेगा बचपन
दीवारों के कैदी हम बन जाएंगे!

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दीवारों के कैदी हम..
हमे खुशी क्या कैसा गम?

सिमटे हैं तेरी यादों में,
हंसी कभी, कभी आँखें नम..!

दुनिया मतलब में उलझी है,
बंधे हुए हैं तुझसे हम..!

खड़े हुए कब से राहों में,
इधर भी फेरो नजर सनम..!

सिद्धार्थ मिश्र

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17 JUL 2018 AT 12:39

औरतें यायावर नहीं होती
हाँ उनकी ममता जानती हैं यायावरी
पुत्र सरीखा हर लड़के पर जब ममत्व छलकता है
दीवारों के कैदी हैं हम इक निरपराध से
सब्रके रोशनदान से
एहसासों के पर्दों से जिंदगी को निहार लेती हैं
रिश्तों की चौखट पर
हँसी ठिठोली और बतिया लेती हैं
पर जिम्मेदार औरतें यायावर नहीं होती
चुप के दरीचे से धूप को समेट लेती हैं
कभी तुलसी , कभी सोनजुही की बेल
कभी रजनीगंधा और कभी पपील सी
घरों की मिट्टी को उर्वरता ओढा़ देती हैं
सच ही तो है औरतें यायावरी नहीं जानती...

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17 JUL 2018 AT 0:05

दीवारों के क़ैदी हम
फसें है जंजीरों में अतीत के
बोलने से पहले सोचते नहीं
मगर कहते है दीवारों के कान होते है

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17 JUL 2018 AT 0:07

नफरत के दीवारों के कैदी है हम।
तलाश थोड़ी सी मोहब्बत की है।
वीरान सी हो गयी ज़िंदगी अब।
चाहत थोड़ी सी खुशी की है।
......नीतू✍️


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17 JUL 2018 AT 5:07

नफरत की दीवारों में जहां कैद मोहब्बत है
चारों तरफ अँधेरा है,उजाले की जरूरत है

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