जब चांद को अपलक निहारने लगो तुम, चांद से जब बतियाने लगो तुम,
तारों में उस एक कोढूंढने लगो तुम, टूटे तारे से मन्नत मांगने लगो तुम,
उगते सूरज से जब मुस्कुराती तुम, डूबते सूरज से से उदास हो जाती तुम,
भोर के तारे से खिलने लगो तुम, सांझ का तारा जैसी लगने लगो तुम,
तब कोई पूछे तो कह देना....
नींद से दूर होने लगो तुम, सोने की नाकाम कोशिश करने लगो तुम
करवट बदलते रात गुजारो तुम, दो तकियों के सहारे होने लगो तुम,
बाजू में जगह छोड़ के सोने लगो तुम, उसको महसूस करने लगो तुम,
आंखों में ख्वाब सजाने लगो तुम, जेसे उनकी गोद में सोने लगो तुम,
तब कोई पूछे तो कह देना....
व्रत उपवास जब मन से रखने लगो तुम, सिर पर पल्लू रखने लगो तुम,
दुपट्टे में मनौती गांठ लगाने लगो तुम, मन्नत का धागा बांधने लगो तुम,
ओरों की नजरों से खुद बचने लगो तुम, नजर उतारने लगी जब तुम
रीत रिवाज में रुचि लेने लगो तुम, गृहस्थी की रस्में मानने लगो तुम,
तब कोई पूछे तो कह देना....
जब बैठी बैठी गुमसुम सी जाओ तुम, हर आहट पर लगो चौकने तुम,
सखियों को बैरन लगने लगे जब तुम, उनसे नज़रें चुराने लगो जब तुम,
प्यार के गानें गुनगुनाने ल्गो जब तुम, फिर खुद से ही शर्माने लगो तुम,
राज की पसंद अपनाने लगो तुम, प्रेयसी से अर्द्धांगिनी बनने लगो तुम।
तब कोई पूछे तो कह देना....
— राज सोनी
-