QUOTES ON #दीदार_ए_यार

#दीदार_ए_यार quotes

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16 JAN 2019 AT 18:43

मैं तुम हो जाऊँ
तुम मैं हो जाओ
तू मुझको जिये
मैं तुझको जियूँ
कुछ न दिखे हमको
एक दूसरे के सिवा
तू आईना देखे
तो मुझको सँवारे
मैं आईना देखूं
तो तुझको सँवारु

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3 DEC 2020 AT 17:19

सर्दिया तो बस यूँही बदनाम है,
हमारे गाल तो उनके दीदार से ही लाल हो जाते है...
मानो, उनकी निगाहें हमारे गालो पर गुलाल मलती हो...।

🙈🙈

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17 FEB 2021 AT 14:25

दीदार जो हो उनका सुकूं-ए-रूह सा लगता है,
हाय! उनका मुस्कुराना बड़ा कातिलाना सा लगता है।

देख के उनको शर्म से झुक जाती हैं पलके मेरी,
और ये मेरा दिल है कि खुशी में झूमने सा लगता है।

यूं तो हूं नहीं कोई अपसरा मैं मगर,
छू लें वो तो रोम-रोम दिलकश सा लगता है।

महज़ आगोश में उनके सारा जहां सिमटा है मेरा,
बोसा ले वो तो मेरा तन कहकशां सा लगता है।

थी बर्ग-ए-गुल मैं, मगर हबीब हो जाने से उनके,
मेरा किरदार खूबसूरत गुलाब सा लगता है।

इश्क उनका मुदावा है मेरा तिलिस्मी हर अदा उनकी,
इश्क उनका ज़िन्दगी और वही मेरा आकिबत सा लगता है।

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11 OCT 2020 AT 13:18

वो हो जाए मेरा खुदा ऐसी तकदीर देदो ना
बस जाऊं उसके दिल में ऐसी तदबीर देदो ना
तुझे देखने की चाह मेरी जान लिए जाती है
दीदार ना सही सनम अपनी एक तस्वीर देदो ना

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19 SEP 2019 AT 18:30

रूख़सत हुए वो हमसे इस कदर
कि फिर दुबारा दीदार ही न हुए

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30 DEC 2019 AT 10:52

छोटा सा शहर....चंद रास्ते...वही गिनी-चुनी गलियाँ,
मग़र कम्बख्त, एक तुमसे मिलने का इतेफाक़ नहीं होता..

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4 JUL 2017 AT 2:47

एक अरसे से मुंतज़िर हूँ दीदार-ए-यार का
यार ने मेरे बेवफ़ाई का पासबाँ बैठा रखा है

- साकेत गर्ग

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10 FEB 2019 AT 0:37

एक अरसा बीत गया देखे बिना उसको,
ना जाने कब दीदार-ऐ-यार मुकम्मल होगा ।

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2 FEB 2019 AT 9:08

हर सुबह उसकी याद ऐसे आती है,
जैसे ना जाने कितने वक्त से उसका दीदार ना हुआ हो ।

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11 DEC 2017 AT 13:21

कल 'पहली बार' हुआ
दीदार-ए-यार यार हुआ
हर लम्हा करता हूँ जिससे प्यार
उसी हसीं से फ़िर से एक बार हुआ
सोचा था जब पहली बार देखूँगा
बहुत कुछ बोलूँगा
पर मैं तो चुप खड़ी 'दीवार' हुआ
हसरत-ए-दीदार में मर रहा था कब से
जो दीदार हुआ, 'मैं ज़िन्दा' यार हुआ
'ख़्वाहिश-ए-ज़न्नत' मैं अब क्या रखूँ
मैं तो एक पल में ही 'आफ़ताब' हुआ
हूर-ए-अदन सी हसीन है वो
मैं स्याह अँधेरी रात, वो महताब हुआ
अभी तलक, वो झलक, वो मुस्कान
मेरी आँखों में, ज़ेहन में, कुछ यूँ कायम है
मेरा दिल 'आईना-ए-हुस्न-ए-यार' हुआ
उनके 'रुख़-ए-रौशन' से नक़ाब कुछ यूँ हटा
नाशाद-ओ-नकारा 'सागा' भी गुलज़ार हुआ
ख़ुदा को देखा हो, जैसे किसी मलंग ने
उस पल 'मैं मलंग', 'ख़ुदा मेरा यार' हुआ

- साकेत गर्ग 'सागा'

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