मुजे मेरे सिवा कोई नही जानता।
किसी को अपनाया था मेने तो कीसी को ठुकराया था,
मेरे ही इश्क़ को मेने ख़ुद से ही खफा किया था,
अब में ही था मेरे अश्क में, ओर मेरी ही तनहाइयां,
तकदीर का मारा में,कुछ पाके भी कुछ आज कुछ खोया है,
ना सोया था ना रोया था, चला था में मेरी राह पे,
पाई है मंजिल आज मैने, तेरे कुछ यादो के लम्हों से,
गुफ्तेगू की है मेने, खुद के ही दर्द से,
लिखता गया में मेरे दर्द को,तेरी ही कलम से,
शोरत भी पाई दौलत भी, पर फिर भी ख़ाली सा हु,
कुछ गुफ्तेगू आज तुझ से करनी थी,
क्यू की मुझे तेरे सिवा कोई नई जानता ।
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