शुरुआत कर तो दी हैं मोहब्बत की मैंने,
ना जाने कितने इम्तिहान,अभी बाकी हैं।
रूबरू हुए हैं तुम्हारी परछाइयों से अभी,
तुझमें बसा एक जहान,अभी बाकी हैं।
हैं छवि एक तुम्हारी उतरी मेरे जेहन में,
गौर से तुमको निहारना,अभी बाकी हैं।
छू लिया हैं बादलों का एक हिस्सा मैंने,
उड़ने को पूरा आसमान,अभी बाकी हैं।
सुनते हैं लोग कई किस्से हीर रांझें जैसे,
वो सब्र करलें हमारी दास्तान,अभी बाकी हैं।
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