हो दवा या दुआ, काम कुछ करता नहीं
दिल तेरे दीदार बिन, अब मेरा भरता नहीं
वो इशारों ही इशारों में तेरे संग गुफ़्तगू
दर्द-ए-दिल कहते रहे, दिल तेरा सुनता नहीं
हम ने सोचा था तेरे बिन, तय करेंगे फासले
उम्र भर चलते रहे, पर रास्ता कटता नहीं
क्यूँ रहे बाक़ी जला दो मेरे दिल का आशियाँ
उजड़ी दीवारों पर अब, रंग कोई चढ़ता नहीं
इश्क के मारे हैं हम, तुम ही बताओ क्या करें
तुम तक आ कर थम गया, रास्ता मुड़ता नही,
हो दवा या दुआ काम कुछ करता नहीं..।
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