ना छोड़ेंगे साथ कभी न टूटेगा प्यार का दामन कभी ये वादा रह जो तुमने दी हिदायत कभी तो सर झुका के कबूल होगी सभी... ये वादा रहा तुमसे छूटेगा ना साथ कभी.......
तुम्हारा हर दुख मेरा तुम्हारी हर तकलीफ मेरी अकेला न छोडेंगे बीच मझदार में कभी ना आने दूंगी आंसू तुम्हारी आँखों से कभी तुम्हारी खातिर पीना पड़े अगर ज़हर तो कभी हँसते हँसते पी जाऊंगी..... ये वादा रहा तुमसे ना छुटेगा साथ कभी......
अभी-अभी किसी का दामन छुड़ाकर आया हूं, थोड़ा आज़ाद तो रहने दो । एक डोर ने बांध रखा था कई दिनों से मुझे, थोड़ा बेब़ाक अब तो उड़ने दो । कहने को तो सारा आसमान मेरा है, थोड़ा मुझे भी स़ैर करने दो । और ये क्या ? तुम फिर से इश्क के किताब लेकर बैठे गए, साहब!! अभी मुझे इससे अनजान ही रहने दो ।