रिश्तों का गिर गया है अब दाम बिकते-बिकते
हर कोई कर रहा है बदनाम बिकते-बिकते
चाहत नहीं है दिल में चेहरों पे झूठी ख़ुशियाँ
अब इश्क़ का बचा है बस नाम बिकते-बिकते
मुर्शिद बने हैं दुश्मन दिल पर चलाएँ ख़ंजर
लेते हैं अपना-अपना ये काम बिकते-बिकते
खुलकर बिकी मोहब्बत तिल-तिल गिराए आँसू
मिलता नहीं है फिर भी अंजाम बिकते-बिकते
तेरा नहीं है कोई कब तक चलेगा 'आरिफ़'
दुश्मन बनी ये सारी आवाम बिकते-बिकते
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