कभी मिलों तो बताएं हम , इस चाँद पर दाग़ कितने हैं, सारे गिनवाए हम !! बहुत इल्ज़ामों से नवाज़े गए हैं, बेबुनियाद है सारे कहकर, अदालत से तुम्हारी अर्जी खारिज़ करवाएं हम !!
धुआँ पहले उठा खत जला बाद में रोज-रोज क्या रखा है तेरी याद में बुझती चिंगारी ने पकड़ ली लपट निशानियाँ उसकी रख आया हूँ आग में एक बार लग जाए तो उम्र भर नहीं जाता यही तो कमी है दिल पर लगे दाग़ में भँवरे मँडराकर ले गये फूल खुशबू वाला अकेले काटों में कहाँ ठहरता माली बाग में एक होली ऐसी गुज़री आँखों में लाली लेकर सब रंग फिके-फिके थे उस जाती फाग में मिलन होता है अश्कों का तकिये से रोज बेनाम गीत कब बनेंगे तेरे दरबारी राग में