QUOTES ON #दहशत

#दहशत quotes

Trending | Latest
3 NOV 2019 AT 18:49


चार गज जमीन में नहीं , राख बना हवा में उड़ा दूंगा
जन्नत का ख्वाब देख रहे दहशत गर्तों तुम्हे उड़ा दूंगा

-


25 APR 2021 AT 0:08

कैसा ये मंज़र और कैसा ये वबाल है
चारों ओर फ़ैला दहशत का बवाल है
✍️✍️

वबाल(संकट)

-


8 APR 2020 AT 2:33

आईने के सामने
अक़्सर जाता हूँ।
ख़ुद से भी ज़्यादा
अक़्स को डरा पाता हूँ।

-



बनी दहशत ही चिंगारी आज़ादी के लिए ,
वो तिरंगा था जिसने हमे कभी बिखरने नही दिया ..

-


15 SEP 2020 AT 12:34

जो मुझसे बात करने से कतराता हो,
वो मुझसे आंख क्या मिलाएगा,
खुद सीने में जिसके दहशत हो,
वो मुझमें दर्द क्या उठाएगा
थर्राते हो हांथ जिसके छूने से,
एक भी कतरा खून का,
वो रणभूमि में ललकारे कैसे,वो उन,
नाजुक हाथों से तलवार क्या उठाएगा,

-


29 DEC 2020 AT 23:11

दहशत के रंग हजार है दुनिया में
और दहशत दुनियादारी का सरदार है उनमें

-


22 JUN 2020 AT 10:56

क्या बताऊँ किन ख्यालो से डर रहा हूँ
इतनी दहशत है कि उजालो से डर रहा हूँ

-


18 DEC 2018 AT 3:21

इस ज़िन्दगी में गम की दहशत बहुत है
खुशी का एक दिया जलाये रखिये
इंसान के मन में मैल बहुत है
जब भी मौका मिले रौशनी में नहाते रहिये

-


14 MAY 2020 AT 20:23

मुझसे घाटी की बात पूछोगे
तो इतना ही कह पाऊँगा मैं
..
एक उम्र गुज़र गई
मुझे घर के तहख़ाने में रहते
दिन का उजाला देखे .. जाने कितना अरसा बीत गया
रातों में निकला हूँ दबे पांव .. कि चाँद तारों को भी भनक न लगे
सांसों की आवाज़ से ज्यादा करीब रहा है .. कील वाले जूतों का शोर
ख़ुसर फुसर करते पता नहीं चला .. कि मेरी खुद की आवाज़ कैसी है
कहते हैं फूलों की घाटी बहुत महकती है .. मैंने तो बस जलती लाशों की राख़ सूंघी है
ठिठुरती सर्दी में अलाव ! .. नहीं नहीं जलते घरों से ताप सेका है अक्सर
फ़िज़ा में घुली हुई धुंध देखी ही नही मैंने .. धुआँ ही धुँआ अक्सर रुला गया है इन आँखों को
घाटी की खूबसूरती कहने को है केवल .. मैंने तो दहशत का मंजर देखा है अक्सर
..
सुनो .. और अब ना ही पूछो
तुम बातें घाटी की .. जो मैंने
धर्म लिंग जज़्बातों की बातें की तो
सुन नहीं पाओगे तुम बातें लोथड़ों की

-


10 NOV 2021 AT 18:57

ये दहशतें ये वहशतें जब सीने में भर लूँगा
मैं ख़ुद अपनी क़यामत अपने ही सर लूँगा

आदतन फ़िर इक बार घोंट कर दम अपना
मैं जीने के दिन ये थोड़े और कम कर लूँगा

खोखले हैं ज़माने के देखिये ये मरने के डर
मुझे डर किसका मैं तो ख़ुद ही से डर लूँगा

यार फ़क़ीरी में रब के सजदे कौन करता है
मैं तो हर घर की दर अपना माथा धर लूँगा

जीता हूँ इसका मतलब ये नहीं कि ज़िंदा हूँ
मैं इस 'बवाल' बिमारी को अन्फ़ुस कर लूंगा

निकालो हथियार, रहो तैयार, होनी है जंग
मैं भी अपनी ग़ज़लों को नश्तर कर लूँगा

-