इक गजल तैयार करने जा रहा हूँ,
तुम्हें मैं अशआर करने जा रहा हूँ!
नहीं और तेरा सर झुकने दूँगा मैं,
इसे मैं अब ख़ुद्दार करने जा रहा हूँ!
कमाल उंगली का मेरी देख जरा,
अब तुम्हें सरकार करने जा रहा हूँ!
मेरा बुनियाद का होना ही है ज़रूरी,
तुमको अब मीनार करने जा रहा हूँ!
तेरी खनक आती दिल के दहलीज़ पे,
तुम्हे दहलीज़ से घर करने जा रहा हूँ!
चले बस तो ये लिख दूँ आसमां पर,
"राज" तुम्हे अपना करने जा रहा हूँ!
_राज सोनी
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