माना कि बिछड़ गए, मिलेंगे किसी मोड़ पर
लेकिन यह कमबख्त दर्द इतना चीखता क्यूं है
संभलते संभलते फिर गिर पड़े उसी पथ पर
लेकिन यह निडर पथिक इतना तन्हा क्यूं है
जो मिला था, एक दिन उसको खोना है
लेकिन यह सब्र का बांध टूटता क्यूं है
दुल्हन सजी है, विदाई की तैयारी है
लेकिन पिता के घर इतना सन्नाटा क्यूं है
यादें हमेशा साथ है, कभी धोखा नहीं देती
लेकिन यह आंखे इतना बरसती क्यूं है
-