ये जो दूरियां आयीं है, इन्हें लाने में तुमने कोई कसर नहीं छोड़ी है, और इन्हें बचाने में मैंने अपनी सारी खुशियाँ गवायीं है, लेकिन फिर भी तुम्हें अपने करीब लाने की कोशिशों में नाकामी ही पायी है !
तेरे मेरे रिश्ते के दरमियां हकीकत यही थी मैं इश्क में तो था तुम मोहब्बत में नहीं थी बड़ी दूर निकल कर मुझे ये अहसास हुआ मैं मुसाफिर तन्हा था तुम सफर में नहीं थी मेरे लुट जाने पे जो मोहब्बत मशहूर हुई हमारी मैं सुर्खियों में तो था मगर तुम ख़बर में नहीं थी मेरे चाहने वालों ने गुहार बहोत लगाई के जी उठूँ मैं मगर तेरी साज़िश से फिर कोई दुआ असर में नहीं थी