भूलकर तुझको कल याद करता रहा,
खुद की खातिर खुद को लाचार.....करता रहा।
दूरी कदमों की थी दरमियाँ फिर भी मैं,
न बढ़ाया कदम बस इंतजार.....करता रहा।
वस्ल की थी तमन्ना हकीकत में तुमसे,
फिर भी बस ख्वाब में दीदार.....करता रहा।
मुस्कुराते हुए चल दिए दिल तोड़कर,
एक हँसी के लिए खुद का व्यापार.....करता रहा।
सिर्फ तुमको ही माँगा खुदा से दुआ में,
सिर्फ तुमसे हाँ तुमसे ही प्यार.....करता रहा।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)
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