"दया धर्म त्याग"
मस्जिद की अजान हो,या हो मंदिर का घंटा,
कानो को सबके भाये ये,ना हो मन में कोई शंका..!!
पढ़ो कुरान,बाइबिल या गीता,वाणी में बस आदर ही झलके,
आचरण होना चाहिए मोहम्मद या युधिष्ठिर सरीखा...!!
जीवन में बजे प्रेम मयी संगीत,
ना नफरत के बीजो को जाए यहाँ सींचा...!!
माटी से बनी है सम्पूर्ण मानव जाती,
फिर क्यूँ विभाजित कर अलग-अलग रंगो की लकीरो को जाये यहाँ खींचा...!!
नहीं लिखा कही करो किसी धर्म का अपमान,
कर्म ही धर्म है हर धर्मग्रन्थ ने यही दिया है ज्ञान...!!
हर धर्म है एक समान चाहे हो सबके अलग-अलग परिधान,
एक ही जीवन,एक ही जान उसकी नजर में सब समान ...!!
-©Saurabh Yadav...✍️
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