हे अविनाशी अनंत अघोरी,
सब जग है तुम बिन त्राहि त्राहि
है त्रिपुण्ड के विध्वंशकारी
दरस को तुम्हरे हम अभिलाषी।
हे अविनाशी अनंत अघोरी,
चरम पर पाप, है पूण्य पर भारी
हे त्रिलोक के अधिकारी,
संहार करो प्रभु, हमें पुण्य अति प्यारी।
हे अविनाशी अनंत अघोरी,
कल्याण करो हे सदा सबुरी
ध्यान धरूँ हे नाथ तुम्हारी,
प्रकट हो दूर करो कष्ट हमारी।
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