यूँ हाथ छुड़ाकर जाते हो,
सच कहता हूँ पछताओगे!
तुम छोड़ के सारी दुनिया को,
खुद पास मेरे आ जाओगे.!
ये दिल जो तुम पर आया है,
ये कहता है तुम आओगे..!
दिल तोड़ने वाले सोचो तुम,
ये कर के तुम क्या पाओगे?
नींद उड़ा कर आशिक़ की,
क्या चैन से तुम सो पाओगे?
ये हार कुबूल मुझे है पर,
एक दिन तुम मुंहकी खाओगे!
जिस रोज मिटा दोगे मुझको,
तुम ख़ुद को क्या समझाओगे?
स्वतंत्र जो ज़ख्म मुझे दोगे,
तुम ख़ुद उनको सहलाओगे!
सिद्धार्थ मिश्र
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