क्या बताऊं__सारा कुछ हूबहू है !
तेरी बातें _____तेरे सोचने का ढंग, हर कुछ !
क्या बताऊं__सारा कुछ हूबहू ही तो है...
जब आज भरी दुपहरी में तुझसे बातें करते हुए...
मैं बस, सोच ही रहा था अपने विचारो को तेरे मन में भरने कि !!
तभी अचानक से __जब तूने अपने विचारों की वर्षा की ...
बस हैरान था मै__कि आखिर,
उस ऊपर वाले ने एक ही तरह सोचने वाले दो इंसान बना ही दिये है...
सुना था मैंने एक ही शक्ल के सात इंसान दुनिया में होते हैं ...
पर एक ही अक्ल और विचारो के दो इंसान__आज देखे हैं मैंने ...
फिर सोचा मन में, कि क्या बताऊं सारा कुछ हूबहू ही तो है...!
अब तो बस उसकी आंखों में देखते हुए उसके विचार पढ़ रहा था ...
मानो ऐसे हो जैसे...जैसे किसी और के मुंह से अपने ही मन के विचार सुन रहा था!
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