एक जैसी ही स्थिति है पतंग और जनता की जिनका नियंत्रण कोई और करता है, नियंत्रक इन्हें ढील देता है ये उसे अपनी आजादी समझते हैं जबकि वो आजादी नहीं गुलामी का एक नया आयाम है जिसके तहत इन्हें लड़ाया जाता है, उन्हें, उन्हीं के अपनों से दूर कर दिया जाता है दोनों एक ही काम करते हैं काटने या कटने का तथा निज नियंत्रक की सार्वभौमिक सत्ता स्थापित करने का।
दूजे की थाली में लगता घी हमेशा ज़्यादा थाल पलट के देखा तो,था मेरे से आधा
हमें हमेशा लगता है कि दूसरों को हमसे ज़्यादा अच्छा जीवन मिला है ,जबकि वास्तविकता यह होती है सब लोगों की अपनी अलग परेशानी और अलग उपलब्धि होती है। तो पते की बात यह है कि जो हमें भगवान ने दिया वह हमारे लिये उपयुक्त है।हमें तुलना करने से बचना चाहिये।तथा अपने कर्म और परिश्रम से अपने जीवन में इच्छित लक्ष्य की प्राप्ति करनी चहिये। जय हिंद🙏