काश की तुम में भाव भी होता,
प्रेम का निर्झर स्राव भी होता.!
जहां तुम्हारी याद ना आती,
काश कहीं वो ठाँव भी होता!
हाथ पकड़कर साथ निभाती,
काश की तुममें चाव भी होता!
हृदय समर्पित कर पाती तुम,
स्नेह का ऐसा दांव भी होता.!
प्राप्त जहां तुम मुझको होती,
शहर कोई या गांव भी होता..!
सिद्धार्थ मिश्र
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