अभी और तन्हा और तन्हा होना है तुझे,
ज़रा सा ज़ख़्मी नहीं फ़ना होना है तुझे।
ज़माने वाले तुझे तेरे लिबास से नापेंगे,
उनकी वहशतों का सामाँ होना है तुझे।
रियाकारों की बस्ती में जीने की ख़ातिर,
फ़ित्नागरों में फ़ित्ना होना है तुझे।
हो जा मसरूफ़ जहाँ की चारागरी में पर,
बूढ़े वालिद का दरमाँ होना है तुझे।
है कुफ़्रियत तेरे रग-रग में बसी 'ऋषि',
यानी दोज़ख़ में पशेमाँ होना है तुझे।
-Rishi
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