# "तिनकों से निर्मित नीड़ ही
उसका वास है,
हर परिस्थिति में वो खुद को
समेटता है,
चाहे तेज़ धूप हो या घोर वर्षा,
छत्र के स्थान पर स्वछंद
आकाश ही उसके पास है!
स्वयं क्षुधा पीड़ित होकर भी
भोजन त्याग देता है,
क्योंकि उस नन्हें जीव का
वह एकमात्र विश्वास है!
घण्टों परिश्रम करता है,
किंतु माथे पर शिकन तक नहीं,
आजीवन दूसरों के लिए
जीता है वो,
वो केंद्र है उस वृत्त का और
नीड़ ही उसका व्यास है!
आख़िर क्या है वो,
उसे यह तक पता नहीं,
उसे क्या पता वो उस नीड़ के
हर सदस्य की आस है..!"¥
-