मिलो कभी हमसे, और हमारा ख्वाब हो जाओ।
अंधेरों को रोशनी दो, और मेरा आफताब हो जाओ।
उतरो दिल में ऐसे, जैसे आइने में अक्स उतरता है,
तृप्त कर दे जो हमें,अब वो पवित्र आब हो जाओ।
लोग कहते हैं, हम पढ़े नहीं कभी, तो लिखेंगे क्या,
चलो लिखता हूं कुछ,और तुम इश्क़ की किताब हो जाओ।
यूं तो गणित का, इश्क़ से कोई मेल है ही नहीं,
फिर भी चलो मैं नुकसान और तुम लाभ हो जाओ।
तेरे शहर में सुना, अंधेरा बहुत है चांदनी रातों में भी,
जगमगा उठेंगी रातें मेरी, गर तुम मेरे मेहताब हो जाओ।
रूठना तुम मनाएंगे हम, यह खेल भी मंजूर है हमें,
जीतो इश्क़ की बाजियां, और तुम अजिताभ हो जाओ।
यूं तो मेहखानों का रुख, कभी किया ही नहीं,
तूम नजर से पीला दो, और बोतले शराब हो जाओ।
मेरी जान पे मेहरबान और भी है, इक तुम ही नहीं,
डूबा दो आंखो मैं अपनी, और सांसो का सैलाब हो जाओ।
गफलत में है महफिल की, दिल पत्थर का है तेरा,
तुम छनको पायल सी,मेरे दिल का रंगी मिजाज हो जाओ।
मोहब्बत में नाम, तेरा भी चमकेगा सितारों सा इक दिन,
बांहों में बिखरो शीशे सी, और कोहिनूर लाजवाब हो जाओ।
अपने दामन में छुपा कर रखना, दोनों की शर्मो - हय्या,
हमराज बनकर दिल के मेरे, सरगोशी पर हिजाब हो जाओ।
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